शेयर बाज़ार में निवेश नहीं, लेकिन ट्रेडिंग ज़ीरो-सम गेम है। ठीक जब एक बढ़ने की उम्मीद में खरीदता है तो दूसरा गिरने के डर से बेचता है। तभी सौदा संपन्न होता है। एक सही होगा तो दूसरा शर्तिया गलत। बस हमें ध्यान रखना चाहिए कि सामनेवाला प्रोफेशनल ट्रेडर न हो। वरना, हमारा हारना तय है क्योंकि वो सबल है। इसलिए या तो प्रोफेशनल ट्रेडर के साथ चलें या उससे बचकर। अब हलचल भरे हफ्ते का पहला दिन…औरऔर भी

तकरीबन सारे के सारे ट्रेडर मानकर चलते हैं कि कंपनी के साथ जो कुछ हो रहा है, वह उसके शेयर के भावों में झलक जाता है। इसलिए अकेले टेक्निकल एनालिसिस से उनका कल्याण हो जाएगा। वे फंडामेंटल एनालिसिस की कतई परवाह नहीं करते। यह एकांगी और नुकसानदेह नजरिया है क्योंकि भाव अंततः जिस मूल्य की तरफ बढ़ते हैं वो कंपनी के फंडामेंटल्स, उसके धंधे की स्थिति से ही तय होता है। अब रुख आज के बाज़ार का…औरऔर भी

शेयर बाज़ार 99% मौकों पर 99% लोगों को चरका पढ़ाता है। इसलिए बाकी 1% लोगों में शामिल होना और 1% सीमित मौकों को पकड़ना बेहद कठिन है। जीवन में आशावाद आगे बढ़ने का संबल बनता है, वहीं शेयर बाज़ार में निराशावाद कामयाबी की बुनियाद बनता है। हर सौदे के पहले सोचना चाहिए कि इसमें कितना घाटा संभव है, जबकि हम यही सोचते हैं कि इससे कितना फायदा कमा सकते हैं। अब करें सोच को पलटने का अभ्यास…औरऔर भी

सफल ट्रेडर अपने प्रति निर्मम और बाज़ार के प्रति बेहद चौकन्ना रहता है। पक्का रिकॉर्ड रखिए। हर गलती से सीखिए और भविष्य में बेहतर कीजिए। यह नहीं कि धन गंवाने के बाद मुंह छिपाते फिरें। बहुत से लोग घाटा खाने के बाद परिचितों से ही नहीं, बाज़ार तक से कतराते हैं। लेकिन इस तरह छिपने-छिपाने से कुछ नहीं सुलझता। सफलता के लिए घाटे की पीड़ा को पिरोकर अनुशासन में बंधना पड़ता है। आगे है गुरुवार का चक्कर…औरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) ने सरकार को एक तरह का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर एक्साइज ड्यूटी में कमी या ईंधन की बिक्री पर उन्हें रोजाना हो रहे 49 करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई नहीं की गई तो वे पेट्रोल की कीमत में 9.6 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ा सकती हैं। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन आर एस बुटोला ने दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘हमने काफी धैर्यऔरऔर भी

बाजार के उस्तादों को जो चाहिए था, आखिरकार उन्हें मिल गया। किसी को बिना कोई चेतावनी दिए, बिना कोई मौका दिए बाजार 600 अंक गिर चुका है जो अपने-आप में अच्छा करेक्शन है। मेरे बहुत-से दोस्त भ्रमित हो गए हैं और बेचनेवालों के खेमे में चले गए। लेकिन मैं अब भी लांग करनेवालों के खेमे में हूं। मेरा मानना है कि बाजार का रुझान तभी पटलेगा जब निफ्टी 5274 के नीचे पहुंच जाएगा। इसलिए तब तक होऔरऔर भी

एक तरफ किंगफिशर एयरलाइंस अपना वजूद बचाने के चक्कर में लगी हुई है, सरकार ने उसे कोई भी आर्थिक पैकेज देने से इनकार कर दिया है, उसकी उड़ानें रद्द होने का सिलसिला जारी है, दूसरी तरफ कुछ लोग आम निवेशकों को इसके शेयर खरीदने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि यह स्टॉक जल्दी ही ‘बाउंस-बैक’ करेगा। निवेशकों को ऐसे लोगों की बातों में कतई नहीं आना चाहिए क्योंकि वे लोग वैसे घाघ उस्तादों केऔरऔर भी

देश की तेल मार्केटिंग कंपनियों की अंडर-रिकवरी दिसंबर तिमाही में लगभग 34,000 करोड़ रुपए की हो सकती है। इसमें से सबसे ज्यादा करीब 19,000 करोड़ की अंडर-रिकवरी इंडियन ऑयल की होगी। यह आंकड़े इंडियन ऑयल के वित्त निदेशक पी के गोयल ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में पेश किए। इस खबर के आने के बाद सभी तेल कंपनियों के शेयरों के भाव घट गए। बता दें कि सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां – इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियमऔरऔर भी

हमारी राजनीतिक पार्टियां इस कदर अंधी हैं कि उन्हें दिखाई नहीं देता कि इस साल केवल जुलाई-सितंबर की तिमाही में ही सरकारी तेल कंपनियों को 14,079.30 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। बुधवार को इंडियन ऑयल ने सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए तो पता चला कि बिक्री साल भर पहले की तुलना में 15.81 फीसदी बढ़कर 89145.55 करोड़ रुपए हो जाने के बावजूद उसे 7485.55 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा है। इससे पहले दो अन्यऔरऔर भी

सार्वजनिक तेल मार्केटिंग कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम और डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ते रुपए को देखते हुए पेट्रोल के दाम में 1.82 रुपए प्रति लीटर बढ़ाने की तैयारी में हैं। करीब ढाई महीने पहले ही 16 सितंबर को तेल कंपनियों – इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम ने पेट्रोल के दाम प्रति लीटर 3,14 रुपए बढ़ाए हैं। नोट करने की बात यह है कि जून 2010 से ही पेट्रोल के मूल्यऔरऔर भी