केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान के तहत इस साल उत्‍तर प्रदेश के लिए 537 करोड़ रुपए का खर्च मंजूर किया है। असल में इस साल की वार्षिक योजना में उत्तर प्रदेश सरकार ने कुल 537 करोड़ रुपए खर्च का प्रस्ताव रखा था, जिसे केंद्र सरकार ने बेझिझक स्वीकार कर लिया है। इसमें से 260.96 करोड़ रुपए 449 नए विद्यालयों की स्‍थापना पर खर्च किए जाने हैं, जबकि 64.13 करोड़ रुपए इस समयऔरऔर भी

छह से 14 साल के बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) को लागू हुए एक साल से अधिक समय बीत चुका है। लेकिन अब तक देश के 28 राज्यों व सात संघशासित क्षेत्रों में केवल 18 ने ही इस कानून को अधिसूचित किया है। दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में इसे अभी भी कानून नहीं बनाया जा सका है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से प्राप्त ताजा जानकारीऔरऔर भी

प्रतिभाशाली छात्रों की पहचान कर उन्हें छात्रवृत्ति देने की राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की राष्ट्रीय प्रतिभा खोज योजना में इस साल से बच्चों का कोई साक्षात्कार नहीं लिया जाएगा। साक्षात्कार लेने की परंपरा को अब छोड़ देने का फैसला किया गया है। एनसीईआरटी के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी ‘भाषा’ को बताया कि आठवीं कक्षा से शुरू होनेवाली इस राष्ट्रीय प्रतिभा खोज योजना में विभिन्न वर्गो की राय और विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों कोऔरऔर भी

देश में उच्च शिक्षा की स्थिति का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण कराने के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के फैसले से राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (एनकेसी) के अध्यक्ष सैम पित्रोदा खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार पर अमल करने में देरी होगी। पित्रोदा ने राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘‘मानव संसाधन विकास के उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सर्वेक्षण कराने के फैसले से मैं परेशानऔरऔर भी