इंसान के हाथों में इतनी बरकत है कि वह मिट्टी को सोना और पत्थर को हीरा बना सकता है। यही नहीं, अरबों साल पहले वह बंदर से इंसान बनना ही तब शुरू हुआ, जब उसने औजार बनाए, उन्हें इस्तेमाल करने का हुनर विकसित किया और आपसी संवाद के लिए भाषा ईजाद की। आज भी उसे हुनर, औजार या साधन दे दिए जाएं और उसकी भाषा में उससे सही संवाद किया जाए, महज लफ्फाज़ी न की जाए तो वह सब कुछ हासिल कर सकता है जो उसे चाहिए। फिर गरीबी क्या चीज़ है! आखिर कौन गरीब रहना चाहता है? वैसे भी गरीबी नैसर्गिक नहीं, बल्कि समाज की देन है। इंसान को हुनर, अवसर, साधन व काम करने की आज़ादी मिले तो गरीबी किसी दिन इतिहासऔर भी

गंगोत्री से गंगा की धारा के साथ बहते पत्थर का ऊबड़-खाबड़ टुकड़ा हज़ारों किलोमीटर की रगड़-धगड़ के बाद शिव बन जाता है, मंगल का प्रतीक बन जाता है। आंख में ज़रा-सा कण पड़ जाए तो हम इतना रगड़ते हैं कि वह लाल हो जाती है। लेकिन सीप में परजीवी घुस जाए तो वह उसे अपनी लार से ऐसा लपटेती है कि मोती बन जाता है। ऐसे ही हैं हमारे रीति-रिवाज़ और त्योहार जो हज़ारों सालों की यात्राऔरऔर भी

यूं तो अनजान या कम जानकार निवेशकों के लिए शेयर बाज़ार में लंबे समय का ही निवेश करना चाहिए जिसके लिए ‘तथास्तु’ आपकी अपनी भाषा में उपलब्ध इकलौती और सबसे भरोसेमंद सेवा है। फिर भी अगर आपने ट्रेडिंग का मन बना ही लिया है तो आप सबसे पहले यह समझ लीजिए कि आप जैसी और आपसे ठीक उलट राय रखने वाले लाखों लोग सामने मैदान में डटे हैं। उन्हें भी अपना धन और मुनाफा उतना ही प्याराऔरऔर भी

कल शाम एक समझदार और अपेक्षाकृत ईमानदार ब्रोकर (क्योंकि ज्यादातर ब्रोकर केवल अपने धंधे के प्रति ईमानदार होते हैं, हमारे प्रति नहीं) से बात हो रही है। उनका कहना था कि हर समय हर किसी के लिए ट्रेड करने का नहीं होता। जैसे, इस समय जितनी वोलैटिलिटी चल रही है, निफ्टी दिन में अक्सर 200-250 अंक ऊपर नीचे होने लगा है, उसे देखते हुए हमें मैदान बड़ों के लिए छोड़ देना चाहिए। नहीं तो हम पिस जाएंगेऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का मानना कि देश में आर्थिक सुधारों की रफ्तार फिलहाल धीमी पड़ गई है और 2014 के आम चुनाव से पहले प्रमुख सुधारों को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा। बसु इस समय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ चार दिन की अमेरिका यात्रा पर गए हुए हैं। वित्त मंत्री 22 अप्रैल तक अमेरिका में रहेंगे, जहां उन्हें विश्व बैंक व आईएमएफ की सालाना बैठकों में भाग लेना है। साथ हीऔरऔर भी

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में की गई 0.50 फीसदी की कटौती रास नहीं आई है। उसने बुधवार को भारत पर जारी अपने खास वक्तव्य में कहा है कि रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति में किसी भी वृद्धि को थामने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने को तैयार नहीं रहना चाहिए। उसका कहना है कि भारत को वाजिब विकास दर को हासिल करने के लिए आर्थिक सुधारों को गति देने की जरूरत है। आईएमएफऔरऔर भी

दुनिया की पांच सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था वाले देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) ने खुलकर आरोप लगाया है कि अमीर देशों ने पिछले पांच सालों से दुनिया को वित्तीय संकट में झोंक रखा है। उनकी मौद्रिक नीतियों ने विश्व अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर दिया है। दिल्ली में ब्रिक्स के चौथे शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणापत्र में यह धारणाएं व्यक्त की गई हैं। घोषणापत्र में कहा गया है किऔरऔर भी

ग्रीस की संसद ने अवाम के विरोध प्रदर्शन के बावजूद सरकारी खर्च में भारी कटौती का मितव्ययिता पैकेज मंजूर कर लिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और यूरोपीय संघ ने शर्त लगा रखी है कि इस प्रस्ताव को मंजूर करने पर ही ग्रीस को 130 अरब यूरो (170 अरब डॉलर) की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस सिलसिले में बुधवार को यूरो ज़ोन के वित्त मंत्रियों की एक और बैठक ब्रसेल्स में होने जा रही है। ग्रीस की संसदऔरऔर भी

यूरो ज़ोन के देशों के वित्त मंत्रियों ने ग्रीस के उद्धार के लिए तीन शर्तें लगा दी हैं। गुरुवार को ब्रसेल्स में ग्रीस के वित्त मंत्री के साथ यूरो ज़ोन के बाकी 16 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक में तय किया गया है कि इन शर्तों को पूरा करने पर ही ग्रीस को आर्थिक संकट से उबरने लिए 130 अरब यूरो (170 अरब डॉलर) की आर्थिक मदद मिलेगी। लेकिन इसके विरोध में ग्रीस की यूनियनों सेऔरऔर भी

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लैगार्ड का मानना है कि यूरो मुद्रा का ‘अंत’ इस साल होने के कोई आसार नहीं है। साथ ही उन्होंने बताया कि जल्दी ही आईएमएफ की जारी होनेवाली रिपोर्ट के मुताबिक इस साल विश्व अर्थव्यवस्था की विकास दर सितंबर में घोषित 4 फीसदी के अनुमान से कम रहेगी। फिलहाल दक्षिण अफ्रीका का दौरा कर रहीं लैगार्ड ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “सवाल है कि क्या 2012 यूरोऔरऔर भी