कहा जा रहा है कि एफआईआई दुखी हैं। फंड मैनेजर परेशान हैं। हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। गार (जनरल एंटी एवॉयडेंस रूल) और वोडाफोन जैसे सौदों पर पिछली तारीख से टैक्स लगाने से उनको भ्रमित कर दिया है। इस साल जनवरी से मार्च तक हर महीने भारतीय शेयर बाजार में औसतन तीन अरब अरब डॉलर लगानेवाले एफआईआई ठंडे पड़ने लगे हैं। सेबी के मुताबिक उन्होंने अप्रैल में अभी तक इक्विटी बाजार में 10.69 करोड़ डॉलर काऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) ने सरकार को एक तरह का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर एक्साइज ड्यूटी में कमी या ईंधन की बिक्री पर उन्हें रोजाना हो रहे 49 करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई नहीं की गई तो वे पेट्रोल की कीमत में 9.6 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ा सकती हैं। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन आर एस बुटोला ने दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘हमने काफी धैर्यऔरऔर भी

देश की तेल मार्केटिंग कंपनियों की अंडर-रिकवरी दिसंबर तिमाही में लगभग 34,000 करोड़ रुपए की हो सकती है। इसमें से सबसे ज्यादा करीब 19,000 करोड़ की अंडर-रिकवरी इंडियन ऑयल की होगी। यह आंकड़े इंडियन ऑयल के वित्त निदेशक पी के गोयल ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में पेश किए। इस खबर के आने के बाद सभी तेल कंपनियों के शेयरों के भाव घट गए। बता दें कि सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां – इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियमऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की बड़ी मुश्किल आसान कर दी है। अब शेयर बाजारों में लिस्टेड कोई भी कंपनी न्यूनतम 25 फीसदी पब्लिक शेयरधारिता हासिल करने के लिए सीधे अपने शेयर बेच सकती है। इसके लिए उसे कोई पब्लिक इश्यू लाने की जरूरत नहीं होगी। वह ऐसा इंस्टीट्यूशन प्लेसमेंट प्रोग्राम (आईपीपी) या स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए ब्रिकी प्रस्ताव लाकर कर सकती है। सेबी के बोर्ड ने मंगलवार को अपनी बैठक मेंऔरऔर भी

हमारी राजनीतिक पार्टियां इस कदर अंधी हैं कि उन्हें दिखाई नहीं देता कि इस साल केवल जुलाई-सितंबर की तिमाही में ही सरकारी तेल कंपनियों को 14,079.30 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। बुधवार को इंडियन ऑयल ने सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए तो पता चला कि बिक्री साल भर पहले की तुलना में 15.81 फीसदी बढ़कर 89145.55 करोड़ रुपए हो जाने के बावजूद उसे 7485.55 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा है। इससे पहले दो अन्यऔरऔर भी

डॉलर के सापेक्ष रुपए की गिरावट ने अपना असर दिखा ही दिया। सरकारी तेल कंपनियों ने कमजोर रुपए से बढ़ी आयात की लागत की भरपाई के लिए गुरुवार-शुक्रवार की मध्य-रात्रि से पेट्रोल का दाम 3.14 रुपए प्रति लीटर बढ़ाने का फैसला कर लिया है। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम वन हिंदुस्तान पेट्रोलियम के आला अफसरों ने पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ बैठक के बाद पेट्रोल के मूल्य बढ़ाने की घोषणा की। इससे पहले 15 मई को पेट्रोल के दामऔरऔर भी

सरकार पेट्रोल के मूल्यों पर पिछले साल जून से ही अपना नियंत्रण हटा चुकी है और इसका फैसला अब नफे-नुकसान की बाजार शक्तियों के हिसाब से होता है। हमारे यहां पेट्रोलियम पदार्थों के दाम सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजार से तय होते हैं क्योंकि देश में इनके मूल स्रोत कच्चे तेल की 78 फीसदी मांग आयात से पूरी की जाती है। यही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मूल्य के अलावा रुपए की विनिमय दर भी पेट्रोल मूल्यों को प्रभावित करने लगी है।औरऔर भी

सरकार की नवरत्न कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) को चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही में 3080.26 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। यह घाटा साल भर पहले इसी तिमाही में हुए 1884.29 करोड़ रुपए के घाटे के डेढ़ गुने से ज्यादा है। महज एक तिमाही का यह घाटा बीते पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में हुए 1539.01 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ को पचा जाने के लिए काफी है। इस घाटे की सीधी-सी वजह यह है किऔरऔर भी

देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को लगातार तीन साल तक रिजर्व बैंक के निर्धारितों नियमों से अधिक कर्ज दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ने वित्तीय संकट से जूझ रही एयर इंडिया के अलावा 2जी घोटाले में फंसी कुछ दूरसंचार कंपनियों को भी काफी मात्रा में कर्ज दे रखा है। लेकिन अब बैंक ने यह भी बताया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीजऔरऔर भी

सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोलियम पदार्थों की सब्सिडी भरपाई में तेल और गैस के उत्खनन व उत्पादन कार्य में लगी कंपनियों का योगदान बढ़ाकर 38.8 फीसदी तक कर दिया है। इन्हें अपस्ट्रीम कंपनियां कहा जाता है और इनमें ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और गैल इंडिया शामिल हैं। सरकार के इस कदम से खासतौर से ओएनजीसी को झटका लग सकता है और उसके प्रस्तावित एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) पर भी नकारात्क असर पड़ सकता है। बता देंऔरऔर भी