यह सच है कि इंसान और समाज, दोनों ही लगातार पूर्णता की तरफ बढ़ते हैं। लेकिन जिस तरह कोई भी इंसान पूर्ण नहीं होता, उसी तरह सामाजिक व्यवस्थाएं भी पूर्ण नहीं होतीं। लोकतंत्र भी पूर्ण नहीं है। मगर अभी तक उससे बेहतर कोई दूसरी व्यवस्था भी नहीं है। यह भी सर्वमान्य सच है कि लोकतंत्र और बाजार में अभिन्न रिश्ता है। लोकतंत्र की तरह बाजार का पूर्ण होना भी महज परिकल्पना है, हकीकत नहीं। लेकिन बाजार सेऔरऔर भी

भारतीय दंड संहिता या इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) अंग्रेजों ने 1860 में बनाया था। वही कानून अभी तक लागू है। आईपीसी में पुलिस या किसी भी सरकारी अधिकारी (पब्लिक सर्वेंट) को ‘राइट टू ऑफेंस’ है, जबकि आम नागरिक को ‘राइट टू डिफेंस’ नहीं है। दूसरे शब्दों में आम आदमी अगर पुलिस द्वारा पीटे जाने पर आत्मरक्षा में उसका डंडा पकड़ता है तो यह कानून के खिलाफ है। अंग्रेजों ने अपनी सर्वोच्च सत्ता के लिए ऐसा प्रावधान कियाऔरऔर भी