हाल सेंसेक्स का और सूरत बाजार की
सेंसेक्स हो, निफ्टी हो या हो म्यूचुअल फंड, जोखिम से जुड़े हुए इन बाजार आधारित निवेश विकल्पों ने इस साल जून से ही दिल गार्डन-गार्डन कर रखा है। अब आगे बाजार क्या रुख ले रहा है, इसकी खलबली, भविष्यवाणी सब चल रही है एक साथ। अगले कुछ महीनों में बाजार क्या रहेगा? खलबली क्यों है, बाजार आधारित इस जोखिम भरे स्टॉक या शेयर बाज़ार में निवेश के सुखद अवसर बना रहे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करतेऔरऔर भी
वित्तीय अज्ञान से खेले खुद वित्त मंत्री
हमारे वित्तीय जगत में ठगी का बोलबाला है। इसीलिए शेयरों से लेकर म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय माध्यमों में निवेश करने वालों की आबादी 2.5% के आसपास ठहरी हुई है और लोग अपना अधिकांश निवेश सोने व प्रॉपर्टी में करते हैं। सरकार, सेबी व रिजर्व बैंक की तरफ से वित्तीय साक्षरता की बात की जाती है। पर देश का वित्त मंत्री ही जब लोगों के वित्तीय अज्ञान का फायदा उठाकर छल करने में लगा हो तो हम कैसेऔरऔर भी
रिज़र्व बड़ा, बोले कम, काम ज्यादा, अधूरा काम उसे जो करना है पूरा
फिराक़ गोरखपुरी की महशूर लाइनें हैं – अब अक्सर चुप-चुप से रहे है, यूं ही कभू लब खोले है; पहले फिराक़ को देखा होता, अब तो बहुत कम बोले है। भारतीय रिजर्व बैंक से रघुराम राजन के जाने के बाद कुछ ऐसी ही कमी कम से कम कुछ महीनों तक तो सालती ही रहेगी। इसलिए नहीं कि वे बिना लाग-लपेट बेधड़क अपनी बात रख देते थे, बल्कि इसलिए कि आज के नौकरशाही तंत्र में उनकी जैसी बौद्धिकऔरऔर भी
फेडरल रिजर्व ने नहीं बढ़ाई ब्याज, जताया चीन में गिरावट का अंदेशा
अमेरिका के केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व ने अंततः ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की, जबकि दुनिया भर में माना जा रहा था कि वो इसे शून्य से 0.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.25 से 0.50 प्रतिशत कर सकता है। फेडरल रिजर्व की चेयरमैन जानेट येलेन ने भारतीय समय से गुरुवार-शुक्रवार की आधी रात के बाद यह घोषणा करते हुए कहा कि यह कदम वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ा है जिसने वस्तुतः अमेरिकी केंद्रीय बैंक के हाथ बांध दिएऔरऔर भी
भावनाओं पर वश ज़रूरी, पर्याप्त नहीं
जूडो-कराटे ही नहीं, गीता तक में भगवान श्रीकृष्ण ने स्थितप्रज्ञ होने की सलाह दी है। ट्रेडिंग में भी कहते हैं कि अपनी भावनाओं को वश में रखो, उन्हें ट्रेडिंग पर कतई हावी मत होने दो। ऐसा करना ज़रूरी है। लेकिन क्या कामयाबी के लिए इतना पर्याप्त है? आप ही नहीं, दुनिया भर के ट्रेडरों का अनुभव इसका जवाब नहीं में देगा। दरअसल, बाज़ार शक्तियों की पूरी मैपिंग आपके दिमाग में होनी चाहिए। पकड़ते हैं मंगलवार का ट्रेड…औरऔर भी
महंगाई को दे मात, पकड़ें वो स्टॉक
सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता मिलता है तो उन्हें मुद्रास्फीति से घबराने की जरूरत नहीं। बाकी लोग महंगाई के आगे खुद को असहाय महसूस करते हैं। शेयर बाज़ार उन्हें इस असहाय अवस्था से निकाल सकता है बशर्ते वे ऐसी कंपनी में निवेश करें जो महंगाई को बराबर मात देती है। कुछ कंपनियां लागत घटाकर ऐसा करती हैं तो कुछ के उत्पाद ऐसे होते हैं जिन्हें लोग हर दाम पर खरीदते हैं। आज ही ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी
आर्थिक खबरें खराब, बेफिक्र है बाज़ार
आर्थिक मोर्चे से आ रही खबरें अच्छी नहीं हैं। शुक्र को खबर आई कि देश का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक फरवरी में 1.9% घट गया तो मार्च में निर्यात में भी 3.15% कमी आई। अब मंगल को खबर आ गई कि मार्च में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 5.70% और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 8.31% बढ़ी है। यह चिंता की बात है। लेकिन बाज़ार पर खास असर क्यों नहीं? अब देखते हैं आज का ट्रेड…औरऔर भी