भारतीय शेयर बाज़ार में पिछले डेढ़ महीने में किसी एक दिन में ऐसी तल्ख गिरावट नहीं आई थी। सेंसेक्स कल 1.21% और निफ्टी 1.36% गिर गया। डर है कि मंगल को देर रात से शुरू हुई दो दिनी बैठक में अमेरिकी फेडरल रिजर्व कहीं समय से पहले ब्याज दर बढ़ाने का फैसला न कर ले। इस आशंका में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मुनाफावसूली शुरू कर दी है। क्या हैं, इस बिकवाली के मायने? समझते हैं आगे…औरऔर भी

बाज़ार में ईद की छुट्टी है तो सोचा कि चलते-चलते इस साल के छह महीने की समीक्षा कर ली जाए। ट्रेडिंग सलाह सेवा अल्पकालिक है और अलग-अलग लोगों के रेस्पांस पर निर्भर है। इसलिए उसकी वस्तुपरक समीक्षा संभव नहीं। लेकिन दीर्घकालिक निवेश की सेवा, तथास्तु की समीक्षा की जा सकती है। कमाल की बात है कि 5 जनवरी से 22 जून तक प्रस्तुत 25 में से 22 कंपनियों के शेयर बढ़े हैं। 88% का जबरदस्त स्ट्राइक रेट…औरऔर भी

शेयर बाज़ार के निवेश के रिस्क को भगवान भी नहीं मिटा सकता। कंपनी का मालिक तक नहीं जानता कि कौन-सी आकस्मिकता उसके सालों से जमे धंधे को ले बीतेगी। इसलिए यहां से लक्ष्य पूरा होते ही धन निकाल कर ज़मीन, सोने या एफडी जैसे सुरक्षित माध्यम में लगा दें। दूसरे, ज्यादा घाटा भी न सहें। कोई शेयर 25% गिर गया तो बेचकर निकल लें क्योंकि उतना भरने के लिए उसे 33.33% बढ़ना पड़ेगा। अब आज का तथास्तु…औरऔर भी

कुछ दिनों से बाज़ार में गिरावट का जो सिलसिला चला है, उसमें तमाम लोगों के दिमाग में स्वाभाविक-सी शंका उभरी है कि कहीं तेज़ी का मौजूदा दौर निपट तो नहीं गया! अतीत का अनुभव ऐसा नहीं कहता। जनवरी 1991 से नवंबर 2010 के दरमियान तेज़ी के चार दौर तभी टूटे थे, जब सेंसेक्स 24 से ज्यादा पी/ई पर ट्रेड हो रहा था। अभी सेंसेक्स का पी/ई अनुपात 18.44 चल रहा है। घबराहट को समेटकर वार मंगलवार का…औरऔर भी

उन्नत बाज़ार में एक-एक हरकत को पकड़ने की व्यवस्था होती है। जो अनजान हैं, वे हवा में तीर चलाते हैं। जो जानते हैं, वे पक्की गणना के आधार पर फैसला करते हैं। जैसे, अपने यहां एक सूचकांक हैं इंडिया वीआईएक्स। यह निफ्टी के आउट ऑफ द मनी (ओटीएम) ऑप्शन के भाव पर आधारित होता है। इसे डर का सूचकांक माना जाता है। यह हमेशा निफ्टी से उल्टी दिशा में चलता है। अब पकड़ते हैं मंगलवार की दिशा…औरऔर भी

स्मॉल कैप स्टॉक्स में निवेश इसीलिए करते हैं कि उनमें कई गुना बढ़ने की संभावना होती है। लेकिन जब सभी स्मॉल कैप कंपनियों की तरफ टूट पड़े हों तो उनके भाव ज्यादा ही चढ़ जाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बीएसई सेंसेक्स फिलहाल 17.88 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि उसका स्मॉल कैप सूचकांक 116.05 के पी/ई पर। आखिर, इतनी महंगी चीज़ के पीछे क्यों भागें! तो, आज तथास्तु में एक लार्जकैप स्टॉक…औरऔर भी

कुल 1575 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग। 592 बढ़े, 907 गिरे, 76 अपरिवर्तित। हर दिन बाज़ार में मोटामोटी यही हाल रहता है। 95% शेयर बढ़ने या गिरते हैं। सोचिए ट्रेडर के सामने कितने अवसर हैं! चाहे तो खरीदकर कमाए, चाहे तो बेचकर। दरअसल असली चुनौती होती है चुनने की। यह चुनाव हर ट्रेडर को अपने टेम्परामेंट के हिसाब से खुद करना होता है। दूसरा इसमें बस मदद भर कर सकता है। अब करें नए हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

भेड़चाल से किसी का कल्याण नहीं होता। लेकिन शेयर बाज़ार में हम-आप अमूमन भेड़चाल ही अपनाते हैं। वहीं ट्रेडिंग से कमाई का मंत्र यह है कि आप तब खरीद लें, जब दूसरे खरीदनेवाले हों और तब बेचकर निकल जाएं, जब दूसरे बेचने जा रहे हों। यह करना कतई मुश्किल नहीं है बशर्ते भावों के चार्ट पर ट्रेडरों व निवेशकों के मनोविज्ञान और उनकी भावी चालों को समझना आप सीख लें। इसलिए अभ्यासेन कौन्तेय। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

इतने पर खरीदो, इतने पर बेचो और इतने पर स्टॉप-लॉस लगाओ! बाई-सेल, टार्गेट, स्टॉप-लॉस! क्या ट्रेडिंग के लिए इतना भर जान लेना पर्याप्त है? ज्यादातर लोगों का जवाब होगा हां, क्योंकि वे खुद यही करते हैं। इससे ज्यादा से उनका मतलब नहीं होता। हिंदी, मराठी या गुजराती भाषी लोगों को भी इतनी अंग्रेज़ी आती है तो उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि टिप अंग्रेज़ी में है या उनकी अपनी भाषा में। आंखों पर ऐसी पट्टी क्यों? अब आगे…औरऔर भी

आपने पतंग उड़ाई होगी या गौर से किसी को उड़ाते हुए देखा होगा तो आपको पता होगा कि पहले ढील देकर फिर अचानक डोर को खटाखट खींचकर कैसे सामनेवाले की पतंग काट दी जाती है। शेयर बाज़ार में नतीजों के दौरान उस्ताद लोग ऐसा ही करते हैं। इसलिए कम रिस्क उठाकर ट्रेडिंग करनेवालों नतीजों के दिन उस स्टॉक से दूर रहना चाहिए। उस्तादों की लड़ाई में कूदने की बहादुरी का कोई मतलब नहीं। अब शुक्रवार की ट्रेडिंग…औरऔर भी