सेटलमेंट के चक्र के अंत में एक बार फिर बाजार में निराशा का आलम है। निफ्टी सुबह खुलने के कुछ देर बाद ही 5804 तक पहुंच गया। फिर 3 बजे तक गिरते-गिरते 5706 तक चला गया। हालांकि आखिरी आधे घंटे में उसमें सुधार देखा गया और यह 5749.50 पर बंद हुआ। लेकिन निफ्टी के जिस 5300 के स्तर को हम काफी पीछे छोड़ आए हैं, अब उसके फिर से वहां तक गिरने की बात हो रही है।औरऔर भी

केंद्र सरकार ने डाक जीवन बीमा निदेशालय को 7000 करोड़ रुपए के विशेष बांड जारी करने का फैसला किया है। ये बांड डाकघर जीवन बीमा निधि और ग्रामीण डाकघर जीवन बीमा निधि की जब्त रकम के एक हिस्से के रूप में जारी किए जा रहे हैं। वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक की तरफ से जारी सूचना के अनुसार इसके तहत जारी प्रतिभूतियों का नाम ‘पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस गवर्नमेंट ऑफ इंडिया सिक्यूरिटी’ होगा। ये प्रतिभूतियां दो तरह कीऔरऔर भी

मरने की कगार पहुंच गए इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स (आईआरएफ) या ब्याज दर वायदा कारोबार में सरकार ने एक बार फिर जान डालने की कोशिश की है। रिजर्व बैंक और सेबी से सर्कुलर जारी कर 91 दिनों के ट्रेजरी बिलों में आईआरएफ सौदों की इजाजत दे दी है। हालांकि इसका सैद्धांतिक फैसला रिजर्व बैंक ने 21 अप्रैल को पेश चालू वित्त वर्ष 2010-11 की मौद्रिक नीति में ही कर लिया था। सोमवार को देर शाम जारी सर्कुलर मेंऔरऔर भी

करीब 30 लाख लोगों को बतौर एजेंट रोजगार देनेवाली जीवन बीमा कंपनियां इस समय अपना कमीशन बचाने और एजेंटों को ग्रेच्युटी व नवीनीकरण प्रीमियम से वंचित करने के लिए नया दांव खेल रही हैं। वे हर साल जितने नए एजेंटों की भरती करती हैं, उससे ज्यादा एजेंटों को निकाल देती हैं। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) की 2009-10 की सालाना रिपोर्ट से यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में वित्त वर्ष 2009-10 में कुलऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और बीमा कंपनियों को हिदायत दी है कि वे उन तमाम कंपनियों से जुड़े लेन-देन की कायदे से जांच करें जिनके नाम सीबीआई ने हाउसिंग लोन घोटाले के सिलसिले में अदालत में दाखिल अर्जी में लिखे हैं। उन्होंने इन सभी संस्थाओं से कहा कि वे नामजद कंपनियों को दिए गए ऋणों का स्वतंत्र आकलन करें और देखें कि इनमें निर्धारित मानकों का पालन कहां तकऔरऔर भी

अगर आप मेडिक्लेम पॉलिसी देनेवाली बीमा कंपनी की सेवाओं से संतुष्ट नहीं हैं तो जल्दी ही आप बीमा कंपनी बदल सकते हैं और उतने ही प्रीमियम पर नई कंपनी से मेडिक्लेम प़ॉलिसी ले सकते हैं। मोटर बीमा पॉलिसी पर भी यही नियम लागू होगा। यह किसी ऐरे-गैरे का नहीं, बल्कि खुद बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के चेयरमैन जे हरिनारायण का कहना है। वे मंगलवार को मुंबई में उद्योग संगठन सीआईआई द्वारा आयोजित बीमा सम्मेलन में बोलऔरऔर भी