भारत युवाओं का देश, जहां की 65 फीसदी आबादी 35 साल के नीचे की है। इस युवा देश की नई पीढी खुली और तेजी से बढती अर्थव्यवस्था के साथ जवान हुई है। इसी माहौल में पला-बढ़ा हमारा नया निवेशक भी देश की अर्थव्यवस्था में भागीदारी करता है। पर ज्यादातर कामयाब नहीं हो पाता। कारण वित्तीय जानकारी या साक्षरता का अभाव। सब कुछ बदल चुका है या बदलाव पर है। सोच से लेकर दिनचर्या, नियामक से लेकर नियम,औरऔर भी

गुल टेकचंदानी को आपने देखा भी होगा, सुना भी होगा, अंग्रेजी और हिंदी के बिजनेस चैनलों पर। निवेश सलाहकार हैं, बाजार के विश्लेषक हैं। निवेश उनका धंधा है। लेकिन सबसे बड़ी बात है धंधे में बड़े बेलाग हैं, ईमानदार हैं। बताते हैं कि छात्र जीवन में ही सट्टे का चस्का लग गया था। 1980-81 के आसपास शेयर बाजार से इतना कमाया कि दक्षिण मुंबई में दफ्तर, गाड़ी, बंगला सब कुछ हो गया। पिता को बोले कि मुझेऔरऔर भी