उत्साह का आलम। नई शुरुआत। बाज़ार को मनमांगी मुराद मिल गई तो सेंसेक्स व निफ्टी नई ऐतिहासिक ऊंचाई पर। ऐसे में निवेश तो बनता है। पर सबसे बड़ी चुनौती है कि किस शेयर में? इसे सुलझाने के लिए जितना बड़ा रिसर्च सेटअप चाहिए, उसमें हर महीने पांच-दस लाख डालने होंगे। फिर भी हम यहां-वहां से जुगाड़ कर 200 रुपए/माह में चार शेयर बता रहे हैं। उठाएं इस सस्ती व भरोसेमंद सेवा का लाभ। अब आज की कंपनी…औरऔर भी

बहुत सारी सूचनाएं हमारे सामने रहती हैं। लेकिन हम उनका महत्व नहीं समझते तो देखते हुए भी गौर नहीं करते। वीवैप (वीडब्ल्यूएपी) ऐसी ही एक सूचना है जो स्टॉक एक्सचेंज पर हमें हर दिन मिलती है। इसका मतलब होता है कि वोल्यूम वेटेट एवरेज प्राइस। देशी व विदेशी संस्थाएं आमतौर पर इसी भाव पर अपने ऑर्डर पेश करती हैं। इसलिए हमारे लिए भी एंट्री का यह अच्छा स्तर हो सकता है। अब शुक्र की ट्रेडिंग का सूत्र…औरऔर भी

बॉस से परेशान होकर शेयरों की ट्रेडिंग में उतरना चाहते हैं तो जहां हैं, जमे रहिए क्योंकि यहां भी बॉस आपका पीछा नहीं छोड़नेवाला। बॉस की बॉसगीरी आपको खलती है क्योंकि वो अपनी चलाता है, आपकी राय को कतई तवज्जो नहीं देता। यहां भी अगर आप अपनी चलाने पर तुल गए तो आपकी बरबादी तय है। यहां का बॉस है बाज़ार और आपको उसके हर फरमान का पालन करना पड़ता है। अब रुख गुरुवार की ट्रेडिंग का…औरऔर भी

मुनाफे का मौका ताड़ने में लोगों को ज्यादा वक्त नहीं लगता। हम हिंदुस्तानी इस मायने में खटाक से जोखिम उठाने को तैयार हो जाते हैं। पहले इंट्रा-डे ट्रेडिंग में लाखों ट्रेडरों ने हाथ जला डाला। अब हर कोई निफ्टी के ऑप्शंस व फ्यूचर्स से सम्मोहित है। सामान्य से सामान्य लोग जो बस गिनती-पहाड़ा तक जानते हैं, डेरिवेटिव जैसे जटिल प्रपत्रों में हाथ डाल रहे हैं। बस ऊपर-ऊपर जान लिया। बाकी रामनाम सत्य है। अब वार मंगल का…औरऔर भी

कोई भी समझदार व्यक्ति कम रिस्क में ठीकठाक कमाने का मौका नहीं गंवाता। उसे ज्यादा रिटर्न खींचता जरूर है, लेकिन उससे जुड़ा ज्यादा रिस्क उसे डराता भी है। इसीलिए हममें तमाम लोग शेयरों के बजाय रीयल एस्टेट, सोने व एफडी में पैसा लगाते हैं। इधर विदेशी संस्थागत निवेशको को लग रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ सकती हैं तो वे भारत जैसे देशों से निवेश निकालकर वापस ले जा रहे हैं। अब आज की दशा-दिशा…औरऔर भी

अलग-अलग टाइमफ्रेम की ट्रेडिंग के नियम व तनाव अलग हैं। इंट्रा-डे में आपको उस तरह चौकन्ना रहता पड़ता है जैसे आप छह महीने के छोटे बच्चे की देखभाल कर रहे हों। वहीं फ्यूचर्स व ऑप्शंस में आपको दो दिन में सौदा काटकर निकल जाना चाहिए। उसमें भी चौकन्ना रहना बेहद जरूरी है। लेकिन स्विंग व मोमेंटम ट्रेड में कोई खास तनाव नहीं। दिन में जब चाहे सौदा करो। अपने मिजाज के हिसाब से टाइमफ्रेम चुनें। अब आगे…औरऔर भी

ट्रेडिंग से पैसा कमाने के लिए किसी भविष्यवाणी की जरूरत नहीं। आपको बस यह जानना है कि ठीक इस वक्त बाज़ार पर हावी कौन है। तेजड़िए या मंदड़िए? इनमें से जो भी सोच हावी है, उसकी ताकत कितनी है? इस जानकारी के दम पर आपको आंकना होगा कि मौजूदा रुझान कब तक चल सकता है। इसके मद्देनज़र आपको भय और लालच से बचते-बचाते अपनी पूंजी को सही से लगाना है। अब चलें सिद्धांत से व्यवहार की ओर…औरऔर भी

न्यूनतम रिस्क, अधिकतम रिटर्न। हर कोई यही चाहता है। यह चाह पूरी की जा सकती है, बशर्ते हम भरपूर नाप-जोख कर लें। बाज़ार में भगवान तो ट्रेडिंग करता नहीं। जो भी करते हैं इंसान ही करते हैं। अल्गो ट्रेडिंग की डोर इंसान ही संभालता है। कुछ इंसान बाज़ार का रुख तय करते हैं, जबकि ज्यादातर इंसान इस रुख में बहते हैं। हमें इन्हीं कुछ इंसानों की चाल को पकड़ने का हुनर सीखना है। रुख करें बाज़ार का…औरऔर भी

बाजार सुधर कर वापस 5500 के ऊपर के प्रतिरोध स्तर पर आ चुका है। निफ्टी 1.07 फीसदी की बढ़त के साथ 5585.45 पर बंद हुआ है। दरअसल मुद्दा टेक्निकल रैली का नहीं, बल्कि यह तथ्य है कि 22 जून 2011 के बाद कल पहली बार एफआईआई का निवेश ऋणात्मक रहा। उन्होंने कल 969.44 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की है। लेकिन ऐसा इनफोसिस के अपेक्षा से कमतर नतीजों, आईआईपी के कमजोर आंकड़ों व यूरोप में छाई कमजोरीऔरऔर भी