वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का मानना कि देश में आर्थिक सुधारों की रफ्तार फिलहाल धीमी पड़ गई है और 2014 के आम चुनाव से पहले प्रमुख सुधारों को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा। बसु इस समय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ चार दिन की अमेरिका यात्रा पर गए हुए हैं। वित्त मंत्री 22 अप्रैल तक अमेरिका में रहेंगे, जहां उन्हें विश्व बैंक व आईएमएफ की सालाना बैठकों में भाग लेना है। साथ हीऔरऔर भी

रिजर्व बैंक भले ही मानता हो कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहेगी, लेकिन वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का कहना है कि यह 7 फीसदी से थोड़ी ज्यादा रहेगी। उन्होंने मंगलवार को यह आशा जताई। उनकी राय असल में पूरे वित्त मंत्रालय की राय है जिसका मानना है कि मार्च 2012 के अंत तक मुद्रास्फीति घटकर 6 से 7 फीसदी पर आ जाएगी। इस बीच सरकार नेऔरऔर भी

आपको याद होगा कि ठीक एक हफ्ते पहले 15 दिसंबर को वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने दावा किया था कि जनवरी के पहले हफ्ते तक खाद्य मुद्रास्फीति तीन फीसदी से नीचे आ जाएगी। लेकिन ये तो कमाल ही हो गया! दिसंबर के दूसरे हफ्ते में ही यह दो फीसदी से नीचे आ गई। गुरुवार को वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, 10 दिसंबर को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति कीऔरऔर भी

बाजार व विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि नवंबर में मुद्रास्फीति की दर 9.04 फीसदी रहेगी। कुछ लोग तो इसके 8.4 फीसदी तक आने का कयास लगा रहे थे। लेकिन इसका असल आंकड़ा 9.11 फीसदी का निकला है। इसे देखते हुए अब नहीं लगता कि शुक्रवार को रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कोई कमी करेगा। रिजर्व बैंक शुक्रवार, 16 दिसंबर को दोपहर 12 बजे मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा पेश करनेवाला है। शुक्र है कि यह पिछलेऔरऔर भी

यूं तो सरकार से लेकर बाजार और विशेषज्ञों तक को अंदाजा था कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर अच्छी नहीं रहनेवाली, लेकिन असल आंकड़ों के सामने आ जाने के बाद हर तरफ निराशा का आलम है। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने तो यहां तक कह दिया है कि दिसंबर तिमाही इससे भी खराब रहनेवाली है। बसु का कहना है कि उन्हें जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)औरऔर भी

यूपीए सरकार मल्टी-ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर उसी तरह व्यग्र हो गई है जैसे तीन साल पहले वह जुलाई 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु संधि को लेकर हुई थी। जहां एक तरफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने साफ कर दिया है कि सरकार इस फैसले से पीछे नहीं हटेगी, वहीं उनके करीबी और वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने तो यहां तक कह दिया कि अगर विदेशी सुपरमार्केट्स को भारत में आनेऔरऔर भी

एक हाथ जब दूसरे हाथ की ही फजीहत करने लग जाए तो इसे आप क्या कहेंगे? लेकिन अपनी सरकार का यही हाल है। एक तरफ रिजर्व बैंक महंगाई रोकने के लिए अपनी तरफ से हरसंभव उपाय किए जा रहा है, दूसरी तरफ वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु कह रहे हैं कि रिजर्व बैंक ने महंगाई रोकने के लिए परंपरागत किताबी उपायों को ही आजमाया है। इसलिए ये उपाय काम नहीं आए। मजे की बातऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय से लेकर पूरी सरकार को चिंता सताए जा रही है कि कहीं ब्याज दरें बढ़ने से देश की आर्थिक व औद्योगिक विकास दर और धीमी न पड़ जाए। इसलिए वे चाहते थे कि ब्याज दरें अब न बढ़ाई जाएं। लेकिन ऊपर-ऊपर मंत्री से लेकर सलाहकार तक रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर बढ़ाने का समर्थन कर रहे हैं। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को रेपो व रिवर्स रेपो दरों में 0.25 फीसदीऔरऔर भी

खाद्य वस्तुओं के साथ मैन्यूफैक्चर्ड चीजों की महंगाई से थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर अगस्त में 9.78 फीसदी हो गई है। वित्त मंत्री का कहना है कि सरकार और रिजर्व बैंक मिलकर बढ़ती मुद्रास्फीति से निपट लेंगे। वित्त मंत्री की राय में देश में ऊंची मुद्रास्फीति का मुख्य कारण वैश्विक बाजार का दबाव है। मुखर्जी ने राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “मुद्रास्फीति दहाई अंक के करीब है। स्थिति पर सरकार कीऔरऔर भी

देश की आर्थिक विकास दर जून तिमाही में पिछली छह तिमाहियों में सबसे कम रही है। फिर भी यह सबसे ज्यादा आशावादी अनुमान से भी बेहतर है। इसीलिए शेयर बाजार पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर कम रहने का असर नहीं पड़ा और वह करीब 1.6 फीसदी बढ़ गया। हालांकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने जून तिमाही की विकास दर को निराशाजनक करार दिया है। मंगलवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिकऔरऔर भी