जगने का वक्त हो जाने के बावजूद जो लोग सोते रहते हैं, उनकी आत्मा अंदर ही अंदर फड़फड़ाती रहती है। उसी तरह जैसे पिजड़े में कोई पंछी फड़फड़ाता है। ऐसे में जब वे कायदे से सो भी नहीं पाते तो आलस को झटक कर उठ जाना ही बेहतर है।और भीऔर भी

काहिल और कामचोरों का कभी कुछ नहीं हो सकता। बाकी हर किसी को अगर मन का काम मिल जाए और उससे उसका घर-परिवार भी चल जाए तो वह काम में ऐसा रमेगा कि कभी छुट्टी ही नहीं मांगेगा।और भीऔर भी

विचार यूं तो अजगर की तरह अलहदी होते हैं। उन्हें करवट बदलने में ठीकठाक वक्त लगता है। स्थितियां बदलने पर भी पुराने खांचे में बंधे रहते हैं। लेकिन बदलते हैं तो ड्रैगन की तरह हाहाकारी हो जाते हैं।और भीऔर भी