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हर कोई अपने धन को अधिक से अधिकतम करना चाहता है। लेकिन कर कौन पाता है? किसान और ईमानदार नौकरीपेशा इंसान तो हर तरफ से दबा पड़ा है। अपने धन को अधिकतम कर पाते हैं एक तो नेता और नौकरशाह, जो हमारे द्वारा परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से दिए गए टैक्स की लूट और बंदरबांट में लगे हैं। वे अपनी हैसियत और पहुंच का फायदा उठाकर जनधन को जमकर लूटते हैं और देखते ही देखते करोड़पति सेऔरऔर भी

वित्त मंत्री ने अपने हिसाब से शेयर बाजार को लुभाने की बहुत कोशिश की। एसटीटी (सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स) घटा दिया। ग्राहकों की तंगी से त्रस्त बाजार में नए रिटेल निवेशकों को खींचकर लाने के लिए एकदम तरोताजा, राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम शुरू कर दी। आईपीओ लाने की प्रक्रिया आसान कर दी। इसकी लागत घटा दी। कंपनियों को छोटे शहरों के और ज्यादा निवेशकों तक पहुंचने में मदद की। दस करोड़ रुपए से ज्यादा के आईपीओ कोऔरऔर भी

पिछले दो हफ्तों में रेणुका शुगर्स के शेयर 40 फीसदी से ज्यादा सिर्फ इसलिए नहीं टूटे कि उसे सितंबर 2011 की तिमाही में 57.30 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, बल्कि इसलिए भी टूटे हैं क्योंकि प्रवर्तकों ने कंपनी में अपनी 38.06 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी का 42.03 फीसदी भाग गिरवी रखा हुआ है। लेकिन ब्रोकरेज फर्म एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज के ताजा अध्ययन से खुलासा हुआ है कि ऐसी कुल 748 कंपनियां हैं जिनके प्रवर्तकों ने अपने शेयरऔरऔर भी

सोमवार को आपने यह खबर शायद देखी होगी कि बीएसई-500 में शामिल देश की 500 बड़ी कंपनियों के पास मार्च 2011 के अंत तक 4.7 लाख करोड़ रुपए का कैश था। लेकिन अगर सभी लिस्टेड कंपनियों को मिला दें तो यह आंकड़ा 11.6 लाख करोड़ रुपए का हो जाता है। यह वित्त वर्ष 2010-11 में रहे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 48.78 लाख करोड़ रुपए का 23.78 फीसदी है। प्रमुख ब्रोकरेज फर्म एसएमसी ग्लोबल की एकऔरऔर भी

वैसे तो नाम में कुछ नहीं रखा। लेकिन जानकर आश्चर्य हुआ कि अनिल नाम की भी एक नहीं, दो लिस्टेड कंपनियां हैं। इनमें से एक है अनिल लिमिटेड जिसका नाम करीब साल भर पहले 22 सितंबर 2010 तक अनिल प्रोडक्ट्स लिमिटेड हुआ करता था। अहमदाबाद की कंपनी है। किसी समय इसका वास्ता अरविंद मिल्स वाले लालभाई समूह से हुआ करता था। अब नहीं है। 1939 में कॉर्न वेट मिलिंग के धंधे से शुरुआत की थी। अब तमामऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने 14 लिस्टेड कंपनियों को हिदायत दी है कि वे दो हफ्ते के भीतर निवेशकों की बकाया शिकायतो का निपटारा कर दें, नहीं तो उनमें से हर किसी पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। सेबी इस बाबत इनमें से अधिकांश कंपनियों को पहले भी पत्र लिख चुकी है। लेकिन उन्होंने इसको कोई तवज्जो नहीं दी। इन कंपनियों के नाम हैं – डीएसजे कम्युनिकेशंस, सतगुरु एग्रो इंडस्ट्रीज, राज इरिगेशन,औरऔर भी

अब लाभ न कमानेवाली या मामूली लाभ कमानेवाली लिस्टेड कंपनी भी प्रबंधन से जुड़े प्रोफेशनल को बेधड़क हर महीने 4 लाख रुपए से ज्यादा का वेतन व भत्ता दे सकती है। इसके लिए उसे केंद्र सरकार से कोई इजाजत नहीं लेनी पड़ेगी। अभी तक इससे पहले कंपनी को सरकार की मंजूरी लेना जरूरी था। लेकिन कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कंपनी एक्ट 1956 के संबंधित प्रावधान को ही अब बदल दिया है। कंपनी एक्ट 1956 के अनुच्छेद –औरऔर भी

इंदौर से संचालित होनेवाला मध्य प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज (एमपीएसई) करीब एक दशक के अंतराल के बाद 23 जुलाई से दोबारा अपनी कारोबारी गतिविधियां शुरू करने जा रहा है। एक्सचेंज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है। एमपीसीई के निदेशक (ऑपरेशन) आशीष गोयल ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि एमपीएसई के सदस्य 23 जुलाई से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के प्लेटफॉर्म पर अपने नाम से कारोबार कर सकेंगे। उन्होंने बतायाऔरऔर भी

सोचिए, कभी ऐसा हो जाए कि आपके घर में और आसपास जो भी अच्छी चीजें हैं, जिनसे आपका रोज-ब-रोज का वास्ता पड़ता है, जिनकी गुणवत्ता से आप भलीभांति वाकिफ हैं, उन्हें बनानी वाली कंपनियों में आप शेयरधारक होते तो कैसा महूसस करते? कंपनी के बढ़ने का मतलब उसके धंधे व मुनाफे का बढ़ना होता है और मुनाफा तभी बढ़ता है जब ग्राहक या उपभोक्ता उसके उत्पाद व सेवाओं को पसंद करते हैं, उनका उपभोग करते हैं। आपकीऔरऔर भी

हर लिस्टेड कंपनी की वेबसाइट एकदम चौकस और अपडेट होनी चाहिए। नए वित्त वर्ष 2011-12 के पहले दिन यानी 1 अप्रैल 2011 से पूंजी बाजार नियामक संस्था ने इसे अनिवार्य नियम बना दिया है। इसके लिए बाकायदा लिस्टिंग समझौते में संशोधन किया गया है। हालांकि अभी तक स्थिति यह है कि बहुत सारी कंपनियों ने कई सालों से अपनी वेबसाइट पर दी गई सूचनाओं को अद्यतन नहीं किया है। इससे निवेशकों को कंपनी के बारे में सहीऔरऔर भी