देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज, बीएसई ने मंगलवार को बीसीबी फाइनेंस की लिस्टिंग के साथ अपना अलग एसएमई एक्सचेंज प्लेटफॉर्म शुरू कर दिया। इससे लघु व मध्यम स्तर की कंपनियों को पूंजी बाजार से जोड़ा जाएगा। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने बीएसई को इसकी इजाजत पिछले साल सितंबर में ही दे दी थी। लेकिन इसे व्यावहारिक स्वरूप देने में इतना वक्त लगना लाजिमी था। मंगलवार को इस प्लेटफॉर्म पर पहली लिस्टिंग के मौके पर एक्सचेंजऔरऔर भी

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के 1032 रुपए के मूल्य पर जारी किए गए शेयर शुक्रवार को नए नियम के मुताबिक एक घंटे के नीलामी सत्र के बाद बीएसई में 1387 रुपए और एनएसई में 1408 रुपए पर लिस्ट हुए। इस तरह लिस्टिंग मूल्य इश्यू मूल्य से क्रमशः 34.4 फीसदी और 36.4 फीसदी ज्यादा रहा। इसके बाद इस पर 20 फीसदी का सर्किट ब्रेकर लग गया। इसकी ऊपरी सीमा 1664.40 रुपए और निचली सीमा 1109.60 रुपए बांध दीऔरऔर भी

एमसीएक्स की लिस्टिंग शुक्रवार 9 मार्च को रही है। शेयरों का आवंटन, मूल्य दायरे के ऊपरी छोर 1032 रुपए पर किया गया है। खुद एमसीएक्स और उसकी प्रवर्तक कंपनी फाइनेशियल टेक्नोलॉजीज में खुशियां छाई हुई हैं। लिस्टिंग के दौरान सेबी के नए नियम के मुताबिक 9 से 10 बजे तक इसमें एक घंटे का प्री-ओपन सेशन होगा जिसमें बोलियों के माध्यम से इसका मूल्य खोजा जाएगा। इस दौरान कोई सर्किट सीमा नहीं होगी। लेकिन फिर 10 बजेऔरऔर भी

फरवरी में बड़ा कुछ नहीं हुआ तो ऑपरेटरों ने इसका फायदा उठाकर निफ्टी को पिछले सेटलमेंट से खींचकर 5650 तक पहुंचा दिया। अब बहुप्रतीक्षित करेक्शन आना शुरू हुआ है तो यह सारे उम्मीदों को तोड़ता हुआ 5500, 5400, 5300 से 5200 की तरफ लिए जा रहा है। आखिरी दो दिनों में तेजड़ियों ने हाथ खड़े कर दिए। लांग सौदों का मामूली रोलओवर हुआ। जो थोड़े-बहुत रोल्स हुए, वे कैश व डेरिवेटिव सेगमेंट में ऑर्बिट्रेज का नतीजा हैंऔरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के बायबैक प्रस्ताव ने काफी निराश कर दिया। उसका शेयर तो बायबैक की घोषणा के पहले ही 15 फीसदी की बड़ी बढ़त ले चुका था। ऐसे में शुक्रवार के बंद भाव पर महज 10 फीसदी का प्रीमियम निवेशकों को मंजूर नहीं है। खासकर तब, जब कंपनी के तीसरी तिमाही के नतीजे बाजार की अपेक्षा से भी काफी कमजोर रहे हैं। निवेशकों की इसी निराशा को दर्शाते हुए आरआईएल का शेयर आज 2.66 फीसदी गिरकरऔरऔर भी

जिस तरह ज्यादातर कंपनियों के आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) कुछ ही समय बाद अपने इश्यू मूल्य से बहुत नीचे खिसक जाते हैं और लिस्टिंग के दिन में उनमे जबरदस्त ऊंच-नीच होती है, उसने पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को आखिरकार कुछ ठोस कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। सेबी ने आईपीओ के मूल्य में मर्चेंट बैंकरों की जवाबदेही तय करने के लिए उनके द्वारा संचालित पुराने आईपीओ का हाल बताना जरूरी कर दिया है। इस सिलसिले मेंऔरऔर भी

1. इक्विटी शेयर क्या है? इक्विटी शेयर को आम बोलचाल में शेयर या स्टॉक भी कहा जाता है। इससे किसी कंपनी में अमुक अंश की हिस्सेदारी व्यक्त होती है। इक्विटी शेयरधारक कंपनी के नफे-नुकसान में, अपने शेयरों की संख्या के अनुपात में व्यवसायिक हिस्सेदार होता है। इसके धारक को कंपनी के सदस्य का दर्जा प्राप्त होने के साथ कंपनी के प्रस्तावों पर अपना विचार व्यक्त करने और वोट देने का अधिकार प्राप्त है। 2. राइट्स इश्यू/राइट्स शेयरऔरऔर भी

परसिस्टेंट सिस्टम्स इतनी मरी-गिरी कंपनी नहीं है कि उसका शेयर अगर जमीन पर गिर जाए तो उसे खोटा सिक्का मानकर उठाया ही न जाए। 1990 में बनी कंपनी है। सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट डेलपवमेंट सेवाओं में सक्रिय है। 6600 से ज्यादा कर्मचारी हैं। 300 से ज्यादा कस्टमर हैं जो अमेरिका, यूरोप व एशिया के कई देशों तक फैले हैं। उसने पिछले पांच सालों में 3000 से ज्यादा सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग व सॉफ्टवेयर आर एंड डी मेंऔरऔर भी

शेयर बाजार का माहौल अब भी इतना थिर नहीं हुआ है कि उसमें आराम से गोता लगाकर अच्छे शेयरों को सस्ते भाव पर पकड़ लिया जाए। सूचकांक में शामिल शेयरों की चाल अलग है। इससे अलग ब्रोकर भाई लोग मिड कैप व स्मॉल कैप शेयरों को बराबर धुने हुए हैं। सक्रिय निवेशक व ट्रेडर मार्जिन कॉल दे नहीं पा रहे हैं तो ब्रोकर ऐसे शेयरों को बेचे जा रहे हैं। वैसे एक-दो दिन में बाजार सामान्य होऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति ठंडी पड़ी, दयानिधि मारन का इस्तीफा हुआ और बाजार तेजी से झूम उठा। किसी को भी भान नहीं था कि निफ्टी यूं 5740 के एकदम करीब तक चला जाएगा। मुझे दुनिया को खुद के सही होने का सबूत देने की जरूरत नहीं है। हालांकि जिंदगी जब तक है, तब तक आलोचक भी रहेंगे। बिग बी तक के आलोचक हैं और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के भी। आपको किसी व्यक्ति की उपलब्धिऔरऔर भी