शेयर बाज़ार में कामयाब लोगों की एक-एक हरकत सोची-समझी, जानी-बूझी होती है। यहां अनायास कुछ नहीं होता। हां, पूरी सृष्टि में अनिश्चितता है तो यहां भी कोई उसे मिटा नहीं सकता। लेकिन उसे साधने की पुरजोर कोशिश जरूर होती है। यहां दो तरह के लोग होते हैं। एक वे, जो जानते हैं कि क्या कर रहे हैं। दूसरे वे, जो सिर उठाकर रातोंरात अमीर बनने चले आते हैं। पहले बराबर कमाते हैं, जबकि दूसरे बराबर पिटते हैं।औरऔर भी

कल शाम एक समझदार और अपेक्षाकृत ईमानदार ब्रोकर (क्योंकि ज्यादातर ब्रोकर केवल अपने धंधे के प्रति ईमानदार होते हैं, हमारे प्रति नहीं) से बात हो रही है। उनका कहना था कि हर समय हर किसी के लिए ट्रेड करने का नहीं होता। जैसे, इस समय जितनी वोलैटिलिटी चल रही है, निफ्टी दिन में अक्सर 200-250 अंक ऊपर नीचे होने लगा है, उसे देखते हुए हमें मैदान बड़ों के लिए छोड़ देना चाहिए। नहीं तो हम पिस जाएंगेऔरऔर भी

यकीन मानिए, तथास्तु शेयर बाज़ार में लंबे निवेश की सबसे विश्वसनीय और अपने तरह की इकलौती सेवा है। कीमत मात्र 200 रुपए/महीने। इतना भी इसलिए ताकि हम अपना काम जारी रख सकें। एक पुरानी बानगी। अजंता फार्मा में 1 अगस्त 2011 को जब हमने निवेश की सलाह दी थी तब उसका दस रुपए का शेयर 347.10 पर था। अभी पांच रुपए का शेयर 987.15 पर है। दो साल में 5.68 गुना! यह कमाल है बस एक मिसाल…औरऔर भी

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की शुरुआत जब 3 जुलाई 1990 को हुई, तब निफ्टी 279 पर था। 23 साल बाद तमाम उतार-चढ़ावों के बाद बावजूद 3 जुलाई 2013 को निफ्टी 5771 पर बंद हुआ। सालाना चक्रवृद्धि दर निकालें तो निफ्टी में लगा धन इन 23 सालों में हर साल 14.08% बढ़ा है। एफडी पर टैक्स के बाद रिटर्न 6-7% से ज्यादा नहीं बनता। शेयर बाज़ार में लंबे समय के निवेश का यही फायदा है। ध्यान दें किऔरऔर भी

जानी-मानी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में सौ से ज्यादा लिस्टेड कंपनियों के अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला है कि फंडामेंडल स्तर पर मजबूत कंपनियां दो से पांच साल में पूरे बाज़ार से बेहतर रिटर्न देती हैं। अप्रैल 2011 से मार्च 2013 के बीच ऐसी कंपनियों ने निफ्टी से 2.2% और सीएनएक्स मिडकैप सूचकांक से 5% ज्यादा सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न दिया है। हम यहां ऐसी ही कंपनियों को छांटकर पेश करते हैं। आज एक औरऔरऔर भी

लोग कहते हैं कि भारत में निवेश की लांगटर्म स्टोरी खत्म हो गई। लेकिन ऐसा अमेरिका, जापान या जर्मनी में हो सकता है, भारत में नहीं। कारण, बड़े देशों में अर्थव्यवस्था या तो ठहराव की शिकार है या कांख-कांख कर बढ़ रही है, जबकि भारत में असली उद्यमशीलता तो अब करवट ले रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था को कम-से-कम अभी 25 साल लगेंगे खिलने में। तब तक यहां फलता-फूलता रहेगा लांगटर्म निवेश। परखते हैं ऐसा ही एक निवेश…औरऔर भी

मल्टीबैगर के चक्कर में बहुतेरे निवेश सलाहकार जमकर लोगों को उल्लू बनाते हैं। धन कई गुना करने की लालच में सीधे-साधे लोग तगड़ी फीस देकर निवेश कर देते हैं। उन्हें नहीं बताया जाता कि स्मॉलकैप या मिडकैप स्टॉक्स ही कई गुना बढ़ सकते हैं, जिनके गिरने का खतरा भी इतना ही भयंकर होता है। दूसरी तरफ लार्जकैप कंपनियों में निवेश के डूबने का खतरा नहीं, रिटर्न भी ठीकठाक मिलता है। पेश है ऐसी ही एक लार्जकैप कंपनी…औरऔर भी

हमने यहीं पर 16 नवंबर 2011 को एवरेस्ट इंडस्ट्रीज में निवेश की सलाह दी थी। तब उसका शेयर 138 रुपए पर था। इस साल 9 जनवरी तक 282.70 की चोटी पर पहुंचा और गिरने के बावजूद अब भी 37% ऊपर 189 पर है। 14 सितंबर 2010 को कावेरी सीड में निवेश को कहा, तब उसका शेयर 283.50 रुपए पर था। इस साल 16 जनवरी को 1491 तक जाने के बाद फिलहाल 1247 पर है। अब दूसरा पहलू…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में लांग टर्म के निवेश का फलना कोई जादू नहीं। अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ता है निवेश। अर्थव्यवस्था पस्त हो तो निवेश खोखला हो जाता है। जैसे, जापानी अर्थव्यवस्था पिछले बीस सालों से पस्त है तो जो निक्केई सूचकांक दिसंबर 1989 में 38,915 पर था, 23 साल चार माह बाद अभी 13,694 पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ने की अपार संभावना है तो यहां लंबे निवेश के फलने की गारंटी है। एक ऐसी ही संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में निवेश करें तो किसी शेयर में नहीं, बल्कि बिजनेस में निवेश करें। उद्योग चुनें। उस उद्योग की खास कंपनी को चुनें। समझें कि उस उद्योग और उस कंपनी का भावी कैश फ्लो कैसा रहेगा। धंधे के साथ शुद्ध लाभ किस रफ्तार से बढ़ेगा। इतना आंक लेने के बाद ही उस कंपनी के शेयर में धन लगाएं। वह भी तब तक के लिए, जब तक वो कंपनी है। आज पेश है ऐसी ही एक पुख्ताऔरऔर भी