विनाश के बिना सृजन नहीं होता। और, सृजन में हर किसी की अपनी-अपनी भूमिका होती है। सृजन और विनाश के देवता शंकर के गणों में कोढ़ी, लूले, लगड़े, अपाहिज और भूत-वैताल तक शुमार किए गए हैं।और भीऔर भी