कुछ कंपनियों के बढ़ने से अर्थव्यवस्था बढ़ती है और कुछ कंपनियां अर्थव्यवस्था के बढ़ने से बढ़ती हैं। 1938 में डेनमार्क के दो इंजीनियरों हेनिक हॉक-लार्सन और सोरेन क्रिस्टियान टुब्रो द्वारा मुंबई में अपने नाम पर बनाई गई एल एंड टी दूसरी तरह की कंपनी है। हालांकि ये दोनों संस्थापक इतिहास के बस नाम भर रह गए हैं। इनका धेले भर का भी लेना देना अब एल एंड टी से नहीं है। यह पूरी तरह प्रोफेशनलों की तरफऔरऔर भी

बीत गया सितंबर महीना। ऐतिहासिक रूप से मंदड़ियों की मौज का वो महीना, जब उन्होंने जमकर नोट बनाए। इस दौरान निफ्टी सुधरकर 5170 तक गया तो धड़ाम से गिर भी गया। फिर वापस 5030 तक चला गया। इसका मतलब कि जिसने भी गिरने पर खरीदने की रणनीति अपनाई होगी, अंत में वह फायदे में रहा होगा। निफ्टी में इस बार रोलओवर पिछले महीने के 72 फीसदी की तुलना में 61 फीसदी रहा है जो साफ दर्शाता हैऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियरिंग कंपनी बीएचईएल (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) ने हफ्ते भर पहले सोमवार, 23 मई को घोषित किया कि वित्त वर्ष 2010-11 में उसका टर्नओवर 22.94 फीसदी बढ़कर 43,394.58 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 39.45 फीसदी बढ़कर 6011.20 करोड़ रुपए हो गया है। उसके पास 1.64 लाख करोड़ रुपए के अग्रिम ऑर्डर हैं। लेकिन उसका शेयर शुक्रवार 20 मई के 2074.40 रुपए से भाव से 6.69 फीसदी गिरकर 1935.60 रुपए पर आ गया। इसके बादऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट ने मशहूर इंजीनियरिंग व कंस्ट्रक्शन कंपनी लार्सन एंड टुब्रो की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने 1300 करोड़ रुपए के सरकारी टेंडर में अपनी बोली को खारिज किए जाने को चुनौती दी थी। सरकार ने यह टेंडर 20 समुद्री गश्ती पोतों (ऑफशोर पैट्रोल वेसेल) बनाने के लिए निकाला था। गुरुवार को सुनाए गए आदेश में न्यायमूर्ति अल्तमास कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। हाईकोर्ट नेऔरऔर भी

वोल्टैम्प ट्रांसफॉर्मर्स लिमिटेड (बीएसई – 532757, एनएसई – VOLTAMP) नाम के अनुरूप बिजली के ट्रांसफॉर्मर बनाती है, अलग-अलग तरह के। 1967 से इसी काम में लगी है। वडोदरा (गुजरात) में उसकी फैक्टरी है। जर्मनी की दो कंपनियों मोरा और एचटीटी के साथ उसका तकनीकी गठबंधन है। कंपनी सरकारी व अर्ध-सरकारी परियोजनाओं, राज्य बिजली बोर्डों, रिफाइनरी, उर्वरक संयंत्र, फार्मा, स्टील, कागज व सीमेंट जैसे उद्योगों को अपने उत्पाद बेचती है। एबीबी, सीमेंस व एल एंड टी जैसी इंजीनियरिंगऔरऔर भी

बाजार तलहटी पकड़ चुका है। निराशा अपने चरम पर पहुंच चुकी है। निवेशक फिलहाल स्टॉक्स से कन्नी काट रहे हैं। इनमें भी जो छोटे निवेशक हैं वे डेरिवेटिव सेगमेंट में मार्क टू मार्केट की अदायगी के लिए जो कुछ भी पास में है, उसे बेचे जा रहे हैं। मैं कल आम निवेशकों के मूड का पता लगाने के लिए गुजरात में तीन छोटी जगहों पर गया था। मैंने पाया कि यह बात उनके मन में कहीं गहरेऔरऔर भी

जहां देखो, वहीं सलाह देनेवालों का रेला लगा है। एसएमएस व बेवसाइटों से लेकर टीवी चैनल और ब्रोकर तक मुफ्त में सलाह बांट रहे हैं। निवेशक एक है तो सलाह देनेवाले हज़ार हैं। जब हर तरफ शेयर के भावों पर नीचे की तरफ जाते तीर का लाल निशान लगा हो तो पांचवी क्लास का बच्चा भी आपको सलाह दे सकता है। ब्रोकरों की बात मैं समझ सकता हू क्योंकि अगर आप होल्ड करेंगे या बिना मार्क टूऔरऔर भी

पीएसएल लिमिटेड का शेयर कल एनएसई, बीएसई दोनों ही स्टॉक एक्सचेंजों में 52 हफ्ते की तलहटी पर पहुंच गया। वो बीएसई (कोड – 526801) में 114.15 रुपए और एनएसई (कोड – PSL) में 113.60 रुपए तक गिर गया। ऐसा क्यों हुआ, नहीं पता। हां, कंपनी ने महीने भर पहले 29 सितंबर को इतना जरूर बताया था कि सितंबर 2005 में जारी 4 करोड़ डॉलर के जीरो कूपन विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसीबी) की अदायगी 7 सितंबर 2010औरऔर भी

खबरें अक्सर किसी शेयर को तात्कालिक आवेग देने का काम करती हैं। कभी-कभी यह भी होता है कि खबर को पहले ही बाजार डिस्काउंट करके चलता है तो उसके उजागर होने के फौरन बाद उसका असर नहीं होता। ऐसी ही खबर पिछले हफ्ते बाजार बंद होने के एक दिन बाद शनिवार को आई है सरकारी कंपनी आईटीआई लिमिटेड के बारे में। एक सरकारी अधिकारी के हवाले बताया गया कि आईटीआई में निर्णायक हिस्सेदारी देने के लिए नएऔरऔर भी