प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े जोरशोर से अपना महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ शुरू कर दिया है। गुरुवार को राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में करीब 500 नामी-गिरामी उद्योगपतियों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री ने कहा, “अगर आप बाहर से आकर या यहां के लोग औद्योगिक विकास पर ध्यान नहीं देंगे, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान नहीं देंगे, रोज़गार के अवसर उपलब्ध नहीं कराएंगे तो यह चक्र कभी पूर्ण होनेवाला नहीं है।” उन्होंने उद्योग प्रतिनिधियों के सामने बहुत बड़ेऔरऔर भी

चालू वित्त वर्ष 2013-14 के पहले महीने अप्रैल में देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में मात्र दो फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि अर्थशास्त्री व अन्य विश्लेषक एक दिन पहले तक इसके 2.4 से 2.7 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान लगा रहे थे। महीने भर पहले मार्च में आईआईपी 2.5 फीसदी बढ़ा था। औद्योगिक उत्पादन के इस तरह उम्मीद से कम बढ़ने से शेयर बाज़ार को थोड़ी निराशा हुई और बीएसई सेंसेक्स 0.53 फीसदीऔरऔर भी

मार्च में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के 6.70 फीसदी रहने का भरोसा था। लेकिन वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च में मुद्रास्फीति की दर 6.89 फीसदी रही है। फरवरी महीने में इसकी दर 6.95 फीसदी थी। इस तरह इसमें कमी तो आई है। लेकिन जितनी उम्मीद थी, उतनी नहीं। फिर भी भरोसा है कि रिजर्व बैंक सालाना मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में चौथाई फीसदी कमी करऔरऔर भी

कहा जाता है कि झूठ तीन तरह के होते हैं – झूठ, शापित झूठ और आंकड़े। इसमें अगर आंकड़े भी खुद झूठे निकल जाएं तो झूठ की तो पराकाष्ठा हो जाती है। मामला कोढ़ में खाज का हो जाता है। गुरुवार को ऐसा ही हुआ, जब सरकार ने फरवरी के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों को जारी करने के साथ ही बताया कि उसने जनवरी में आईआईपी के 6.8 फीसदी बढ़ने की जो बात कही थी,औरऔर भी

अगले दस सालों में सरकार देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के योगदान को 25 फीसदी पर पहुंचा देंगी और दस करोड़ रोज़गार के नए अवसर पैदा करेगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति के इस उद्देश्य को बड़े जोर-शोर से पेश किया है। वे मंगलवार को दिल्ली में उद्योग संगठन एसोचैम के 91वें सालाना सम्मेलन में बोल रहे थे। बता दें कि केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की तरफ से जारी ताजाऔरऔर भी

मार्च में देश का औद्योगिक उत्पादन उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर रफ्तर से बढ़ा है। इसने भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रही किसी भी धीमेपन के डर को दरकिनार कर दिया है। इससे उन आलोचनाओं पर भी लगाम लग सकती है जिनमें कहा जा रहा है था कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को थामने के उत्साह में आर्थिक विकास को दांव पर लगा दिया है। मार्च 2011 में फैक्ट्रियों, खदानों व सेवा क्षेत्र में उत्पादन साल भर पहलेऔरऔर भी