ज्यादातर लोगों पर शेयरों की ट्रेडिंग का ऐसा जुनून सवार रहता है कि उन्हें अपने सिवाय कुछ नहीं दिखता। नहीं दिखता कि बाज़ार बनता ही है ठीक एक समय परस्पर विरोधी सोच के संयोग से। वर्तमान भाव पर दोनों की समान राय, लेकिन भावी मूल्य पर एकदम उलट। एक सोचता है बढ़ेगा तो खरीदता है। दूसरा सोचता है गिरेगा तो बेचता है। आत्ममोह के इस सम्मोहन से निकलना ज़रूरी है। अब पकड़ते हैं अगस्त का पहला ट्रेड…औरऔर भी

2004 के लोकसभा नतीजों के बाद बाज़ार 17% गिरा। 2009 के नतीजों के बाद 17% बढ़ा। वहीं 2014 के बम्पर नतीजों के बावजूद निफ्टी केवल 1.12% बढ़ा। हालांकि पिछले तीन महीनों में करीब 20% पहले ही बढ़ चुका था। लेकिन अभी सब कुछ शांत भाव से हो रहा है। पहले जैसी हड़बोंग नहीं। मोदी सरकार अगले तीन महीनों में क्या फैसले करती है, इसी से बाज़ार का भरोसा टिकेगा या टूटेगा। अब बदले ज़माने का पहला वार…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में आग-सी लगी है। सेंसेक्स और निफ्टी थोड़ा दम मारने के बाद नया ऐतिहासिक शिखर बना डालते हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) इस साल 1 जनवरी से कल 5 मई तक भारतीय शेयर बाज़ार के कैश सेगमेंट में 35,559 करोड़ रुपए (करीब 590 करोड़ डॉलर) की शुद्ध खरीद कर चुके हैं। ऐसा तब है जब जनवरी से ही अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने बांडों की खरीद घटा दी है। ऐसे में है सावधानी की दरकार…औरऔर भी

बाज़ार में सन्निपात-सा छा गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति भले ही अच्छी न हो। लेकिन मात्र चालू खाता घाटा (सीएडी) घटने के आंकड़े ने बाज़ार को उठाने का बहाना दे दिया। मोदी के आने का हल्ला मचाकर गुब्बारे को फुलाया जा रहा है। लेकिन शेयर बाज़ार की हर हरकत के पीछे मंशा मुनाफा कमाने की होती है। बाज़ी हमेशा बड़े ट्रेडरों के हाथ में होती है। हम फंसे नहीं, इस सावधानी के साथ बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

ट्रेडिंग में अगर हर दिन नोट बनने लगें तो इससे अच्छा क्या हो सकता है? हर कोई यही चाहता है। लेकिन नोटों के पीछे भागने से कभी आप खुश नहीं सकते क्योंकि सारी दुनिया का धन कभी आपके पास नहीं आ सकता। कामयाब/प्रोफेशनल ट्रेडर धन के पीछे नहीं भागता। वह अक्सर ट्रेडिंग पर बकबक भी नहीं करता। वो बड़े धीरज से कमाता है ताकि जीवन में कुछ दूसरी महत्वपूर्ण चीजें कर सके। अब नए सप्ताह का आगाज़…औरऔर भी

विख्यात अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने 1776 में छपी किताब वेल्थ ऑफ नेशंस में लिखा था कि बाज़ार में सप्लाई मांग से ज्यादा होने पर वस्तु के भाव गिर जाते हैं। मशहूर वैज्ञानिक आइज़ैक न्यूटन ने 1687 में बताया कि कोई भी वस्तु तब तक गतिशील रहेगी जब तक उसका मुकाबला उसके बराबर या उससे ज्यादा बल की वस्तु से नहीं होता। इन्हीं नियमों पर आधारित है मांग और सप्लाई की पद्धति। इसे अपनाते हुए करते हैं ट्रेडिंग…औरऔर भी

एक तरफ अमेरिका का केंद्रीय बैंक उपाय सोच रहा है कि मौजूदा मौद्रिक ढील को कड़ा कैसे किया जाए, हर महीने 85 अरब डॉलर की बांड खरीद के दुष्चक्र से कैसे निकला जाए। दूसरी तरफ डाउ जोन्स सूचकांक गुरुवार को इतिहास में पहली बार 16,000 के पार चला गया क्योंकि बेरोजगारी की दर बिगड़कर 7.3% हो गई है और इसके सुधरकर 6.5% तक आने तक बांड खरीद रुक नहीं सकती। ऐसा है बाज़ार। अब ट्रेडिंग शुक्रवार की…औरऔर भी

ट्रेडिंग से कमाई के लिए हमेशा सही होना ज़रूरी नहीं। सच तो यह है कि बाज़ार आपको ज्यादातर हराएगा। इसमें कोई हेठी नहीं, बल्कि सीख मिलती है कि अतिविश्वास कितना घातक हो सकता है। असली सूत्र है कि जब कभी बाज़ार आपको गलत साबित करे, आप पतली गली से निकल लें। इसका सबसे कारगर ज़रिया है स्टॉप लॉस। जो चक्रव्यूह में घुसकर निकलना नहीं जानते, उनका हश्र अभिमन्यु जैसा ही होता है। देखें अब आज का हाल…औरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने तय किया है कि वह शुक्रवार को सेकंडों के भीतर निफ्टी के 5353 से गिरकर 5000 तक पहुंच जाने की जांच करेगी। एनएसई भी सब कुछ ठीक होने के दावा करने के बावजूद शुरुआती जांच शुरू कर चुका है। इससे पहले दीवाली की मुहूर्त ट्रेडिंग पर बीएसई में भी यह करिश्मा हो चुका है। उससे पहले जून 2010 में रिलायंस का शेयर एक दिन 20 फीसदी का धक्का खा चुका है।औरऔर भी