हमें हर काम को रूटीन नहीं, एकदम नया समझकर करना चाहिए ताकि दिमाग पूरी तरह उसमें रम जाए। यह नहीं कि यंत्रवत साइकिल चलाए जा रहे हैं और दिमाग का सचेत हिस्सा सोया पड़ा हुआ है।और भीऔर भी

समय तो यंत्रवत चलता है। हमने ही उसे नैनो सेकंड से लेकर साल तक के पैमाने में कसा है। अपने जीवन को हम जन्मदिन के चक्र में कसते हैं। लेकिन यह हमारा अपना चक्र है। समय से हमारी कोई होड़ नहीं।और भीऔर भी

मेहनत के बिना कहीं आसमान से कुछ नहीं टपकता। हां, जानवर या मशीन जैसे काम के दाम कम हैं। पर पढ़-लिखकर इंसानी हुनर के माफिक काम करेंगे तो दाम भी ज्यादा मिलेंगे। सीधी-सी बात है।और भीऔर भी

इंसान के अलावा पेड़-पौधों से लेकर किसी भी अन्य जीव-जंतु को पड़ी नहीं रहती है कि इस जन्म या उस जन्म में क्या होगा। सभी यंत्रवत जिए चले जाते हैं। केवल इंसान को ही अपने होने का भान रहता है।और भीऔर भी