वाइकिंग मिथक के अनुसार ग्रहण तब लगता है जब स्कोल और हैती नाम के दो भेड़िए सूरज या चंद्रमा को जकड़ लेते हैं। इसीलिए जब भी ग्रहण पड़ता था तो वाइकिंग लोग खूब शोर मचाते और ढोल बजाते थे ताकि वे भेड़िए डर कर आसमान से भाग जाएं। कुछ समय बाद लोगों ने महसूस किया कि उनकी ढोल-तमाशे का का ग्रहण पर कोई असर नहीं पड़ता। ग्रहण तो अपने-आप ही खत्म हो जाता है। प्रकृति के तौर-तरीकोंऔरऔर भी