इसे माल व सेवा कर कहिए या वस्तु एवं सेवा कर, अंततः इसे जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) के रूप में ही बोला, जाना और कहा जानेवाला है। देश में 1986 से ही इसकी अवधारणा पर काम चल रहा है। लेकिन इसके अमल में बराबर कोई न कोई दिक्कत आ जाती है। यह आज़ादी के बाद देश में परोक्ष या अप्रत्यक्ष करों का सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण सुधार है। असल में, इसके लागू होने से देश मेंऔरऔर भी

वित्‍त मंत्रालय ने साफ किया है कि भले ही लघु बचत स्कीमों की ब्‍याज दर को हर साल समतुल्य परिपक्‍वता वाली सरकारी प्रतिभूतियों के साथ जोड़ दिया गया है, लेकिन पीपीएफ (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड) को छोड़कर बाकी सभी स्कीमों में निवेश पर ब्याज दरें फिक्‍स रहेंगी, फ्लोटिंग नहीं। सरकारी प्रतिभूतियों की ब्याज दर को बस एक संदर्भ के रूप में लिया जाएगा। असल में मीडिया में इस तरह की खबरें आई थीं कि पहली दिसम्‍बर 2011 सेऔरऔर भी

अब केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों, केन्‍द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) और स्वायत्त व संवैधानिक निकायों तक को सारी निविदाओं की सूचना एक पोर्टल पर देनी होगी। वित्त मंत्रालय ने 30 नवंबर को ऐसा केन्‍द्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल बनाने का निर्देश जारी कर दिया है। मंत्रालय के व्यय विभाग ने यह फैसला सार्वजनिक खरीद पर विनोद धाल की अध्‍यक्षता में गठित समिति के सिफ़ारिशों और भ्रष्‍टाचार को रोकने व पारदर्शिता लाने के लिए मंत्री समूह के निर्णयऔरऔर भी

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के नियंत्रक लेखा परीक्षक (सीजीए) ने एक पूरी तरह से सुरक्षित सरकारी ई-भुगतान प्रणाली विकसित की है। इससे कोई भी सरकारी भुगतान सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंच जाएगा। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी सोमवार, 31 अक्टूबर को इस सेवा का उद्घाटन करेंगे। सरकारी ई-भुगतान गेटवे एक पोर्टल है जिसके माध्यम से सुरक्षित तरीके से लाभार्थियों के खाते में ऑनलाइन भुगतान किया जा सकेगा। यह गेटवे कागज रहित लेन-देन, कारोबारी लागत को कमऔरऔर भी

केंद्र सरकार को कुल टैक्स का 56% हिस्सा अब आयकर या कॉरपोरेट करों के रूप में प्रत्यक्ष करों से मिंलता है। बाकी 44% टैक्स ही एक्साइज व कस्टम जैसे परोक्ष करों से मिलता है। नब्बे के दशक तक स्थिति यह थी कि सरकार को मात्र 12% प्रत्यक्ष करों से मिलते थे और 88% अप्रत्यक्ष या परोक्ष करों से। वित्त वर्ष 2010-11 में केंद्र सरकार का कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.46 लाख करोड़ रुपए रहा है, जबकि परोक्षऔरऔर भी

कंपनियों के नतीजों का मौसम खत्म होने को है। अब तक तस्वीर यह बनी है कि जहां इनफोसिस और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी तमाम बड़े स्तर की कंपनियां बाजार की अपेक्षाओं को पूरा करने में नाकाम रही हैं, वहीं पोलारिस, एचसीएल टेक्नो व हिंदुस्तान जिंक जैसे मध्यम स्तर की कंपनियों ने उम्मीद के बेहतर नतीजे हासिल किए हैं। कुल मिलाकर कॉरपोरेट क्षेत्र का लाभार्जन बीते वित्त वर्ष 2010-11 में पहले से 20 फीसदी ज्यादा रहेगा। लेकिन चालू वित्तऔरऔर भी

केंद्र सरकार ने डाक जीवन बीमा निदेशालय को 7000 करोड़ रुपए के विशेष बांड जारी करने का फैसला किया है। ये बांड डाकघर जीवन बीमा निधि और ग्रामीण डाकघर जीवन बीमा निधि की जब्त रकम के एक हिस्से के रूप में जारी किए जा रहे हैं। वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक की तरफ से जारी सूचना के अनुसार इसके तहत जारी प्रतिभूतियों का नाम ‘पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस गवर्नमेंट ऑफ इंडिया सिक्यूरिटी’ होगा। ये प्रतिभूतियां दो तरह कीऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने स्वास्थ्य और शिक्षा में किए गए निवेश को भी इंफ्रास्ट्रक्चर में शामिल करने का एलान किया है। इससे पहले 28 फरवरी को पेश बजट में वे कोल्ड स्टोरेज चेन और उर्वरक उद्योग में किए गए पूंजी निवेश को इंफ्रास्ट्रकर में शामिल करने की पेशकश कर चुके हैं। शुक्रवार को लोकसभा में बजट 2011-12 पर हुई बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माणऔरऔर भी