कामयाब ट्रेडर बाज़ार में इकलौते मकसद से उतरता है। वो है पूंजी को बराबर बढ़ाते जाना। इससे उसे शोहरत भी मिल सकती है। लेकिन मनोरंजन, प्यार या सामाजिक प्रतिष्ठा वगैरह-वगैरह उसे बाज़ार से नहीं, बाहर से मिलती है। बाज़ार में सुबह से शाम तक टाइमपास करना भी बेमतलब है। लोग भले ही कहें कि कितना मेहनती ट्रेडर है। लेकिन जो मेहनत पूंजी न बढाए, वो किस काम की? आइए देखते हैं पूंजी बढ़ाने के आज के मौके…औरऔर भी

भले ही दो दिन बाद शुक्रवार को रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाने की तैयारी में बैठा हो, लेकिन खुद उसका मानना है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में कंपनियों का पूंजी निवेश उम्मीद से कम रह सकता है। इसकी खास वजह लागत सामग्रियों के महंगा होने के साथ-साथ पूंजी का महंगा होना या दूसरे शब्दों में ब्याज दरों का ज्यादा होना है। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को जारी सितंबर महीने की अपनी बुलेटिन में साफ-साफ कहा हैऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने बैंकों के होमलोन धंधे और बढ़ती प्रॉपर्टी कीमतों पर लगाम लगाने के नए कदम उठाए हैं। मंगलवार को पेश मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा में उसने बैंकों को टीजर होमलोन देने से हतोत्साहित करने की भी कोशिश की है। इन कदमों का मसकद यही है कि कहीं बैंकों का उतावलापन भविष्य में उनकी परेशानी का सबब न बन जाए। सबसे पहले तो उसने तय कर दिया है कि कोई भी बैंक मकान कीऔरऔर भी