हम में से हर कोई ऐसे बैक्टीरिया का झुंड या बादल लिए चलता है जो आपस में इतना अलग है कि उंगलियों के निशान या पुतलियों की बनावट की तरह हमारी पहचान का माध्यम बन सकता है। यह बात अमेरिका के ओरेगॉन विश्वविद्यालय की एक रिसर्च रिपोर्ट से सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुख्य लेखक जेम्स मीडो का कहना है, “हमें उम्मीद थी कि हमें किसी व्यक्ति के आसपास धूल और उसके शरीर व कपड़ों सेऔरऔर भी

प्राण मरने पर ही शरीर नहीं छोड़ता, बल्कि जीवित रहते हुए भी प्राण तत्व घटता रहता है। पस्तहिम्मती और आत्मबल के डूबने के रूप में सामने आता है यह। हां, इस दौरान मृत्यु के जबड़े से जीवन को खींच लेने का विकल्प हमारे सामने खुला रहता है।और भीऔर भी