राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में देश का जीडीपी कितना रह सकता है, इसका पहला अग्रिम अनुमान पेश कर दिया है। उसका कहना है कि मौजूदा मूल्य पर हमारी अर्थव्यवस्था का आकार पिछले साल के 203.40 लाख करोड़ रुपए से घटकर इस बार 194.82 करोड़ रुपए रह सकता है, जबकि बजट अनुमान 224.89 लाख करोड़ रुपए का था। यानी, पिछले साल से 8.58 लाख करोड़ रुपए और इस साल के बजट अनुमान सेऔरऔर भी

सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव परिणाम आ चुके हैं। देश में करोड़ों दिलों की रुकी हुई घड़कनें अब चलने लगी हैं और दिमाग काम करने लगा है। इसलिए फेंकने-हांकने या हवाहवाई बातें करने के बजाय उस ठोस कार्यभार को समझने की ज़रूरत है जो देश की नई सरकार के सामने मौजूद है। समय बहुत कम है क्योंकि तीन साल बाद ही 2022 में हम आज़ादी की 75वीं सालगिरह मनाने जा रहे हैं। तीन साल में नया भारत बनाऔरऔर भी

अपनी ज़िंदगी हमें काफी कुछ समझ में आती है। उसकी आर्थिक स्थिति भी बखूबी समझ में आती है क्योंकि उसे हम अपनी ज़मीन, अपने धरातल पर खड़े होकर देखते हैं। पर, कोई देश की अर्थव्यवस्था की बात करे तो सब कुछ सिर के ऊपर से गुज़र जाता है क्योंकि हम उसे आसमां से देखते हैं। अगर हम उसे भी अपनी ज़मीन से खड़े होकर देखें तो शायद सब कुछ अपनी ज़िंदगी की तरह साफ-साफ दिखने लगेगा। यहऔरऔर भी

छासठ साल कम नहीं होते बंद गांठों को खोलने के लिए। लेकिन नीयत ही न हो, सिर्फ साधना का स्वांग चल रहा हो तो कुंडलिनी मूलाधार में ही कहीं सोई पड़ी रहती है। आज़ादी के बाद देश की उद्यमशीलता को जिस तरह खिलना चाहिए था, वैसा नहीं हुआ। सच कहें तो सायास ऐसा होने नहीं दिया गया। उद्योगों को मंदिर मानने, हाइब्रिड बीजों से आई हरित क्रांति और अर्थव्यवस्था को खोलने के पीछे बराबर एक पराश्रयी सोचऔरऔर भी

बजट एक ऐसी बला है, शोर थमने के बाद भी जिसका सार सामने नहीं आता। खासकर, फाइनेंस बिल इतना उलझा हुआ होता है कि पहुंचा हुआ वकील ही मसला सुलझा सकता है। ऐसे ही वकील, मुंबई की मशहूर लॉ फर्म डीएम हरीश एंड कंपनी के पार्टनर अनिल हरीश बताते हैं कि इस बार के बजट में पी चिदंबरम ने भारतीय कंपनियों को विदेशी कंपनियों के सहारे मात्र 15 फीसदी टैक्स देकर अपनी काली कमाई सफेद करने काऔरऔर भी

लघु व मझौले उद्यमों को शुरुआती पब्लिक ऑफर (आईपीओ) लाए बिना ही एसएमई एक्सचेंज में लिस्ट होने की इजाज़त दी जाएगी। लेकिन उनका इश्यू जानकार निवेशकों तक ही सीमित रहेगा। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को पेश बजट 2013-14 में यह घोषणा की। ऐसे उद्यमों में स्टार्ट-अप कंपनियां भी शामिल हैं। यह सुविधा मौजूदा स्टॉक एक्सचेंजों के एसएमई प्लेटफॉर्म से अलग है जहां व्यापक निवेशकों की भागादारी के साथ आईपीओ लाकर ही लिस्टिंग कराई जा सकतीऔरऔर भी

देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज, बीएसई ने मंगलवार को बीसीबी फाइनेंस की लिस्टिंग के साथ अपना अलग एसएमई एक्सचेंज प्लेटफॉर्म शुरू कर दिया। इससे लघु व मध्यम स्तर की कंपनियों को पूंजी बाजार से जोड़ा जाएगा। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने बीएसई को इसकी इजाजत पिछले साल सितंबर में ही दे दी थी। लेकिन इसे व्यावहारिक स्वरूप देने में इतना वक्त लगना लाजिमी था। मंगलवार को इस प्लेटफॉर्म पर पहली लिस्टिंग के मौके पर एक्सचेंजऔरऔर भी

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) को शुरू हुए चार साल हो गए हैं और इस दौरान इसके तहत कुल महज 2955 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है। अब तक 1.36 लाख परियोजनाओं को मदद दी गई है और 13.16 लाख रोजगार के अवसर पैदा किए गए हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम केन्द्रीय सेक्टर की एक योजना है जिसका संचालन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्रालय करता है। राज्य व संघशासित स्तरऔरऔर भी

प्रधानमंत्री से लेकर वित्त मंत्री तक भले ही लघु उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र का गुणगान करते रहते हैं। लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि सरकार अपनी सालाना 1,70,000 करोड़ रुपए की खरीद में से महज 4.5 फीसदी एमएसएमई क्षेत्र से खरीदती है। ऐसी हालत में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने जोर दिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपनी जरूरत की कम से कम 20 फीसदी खरीद लघु व मझोली इकाइयों से करनी चाहिए।औरऔर भी

सरकार ने सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमों (एमएसएमर्ई) को सभी प्रकार की सूचनाएं उपलब्ध कराने के मकसद से टॉल फ्री नंबर सुविधा की शुरुआत की है। सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यम मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री दिनशा पटेल (स्वतंत्र प्रभार) ने ‘उद्यमी हेल्पलाइन’ नाम से प्रायोगिक तौर पर इस कॉल सेंटर की शुरूआत की घोषणा की। मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार 1800 0180 6763 नंबर पर फोन करके उद्यमी ऋण, प्रौद्योगिकी, मार्केटिंग सहयोग, कौशल विकास,औरऔर भी