मान्यता है कि शेयर बाजार लंबे समय में फायदा ही देता है। लेकिन यह कोई निरपेक्ष सच नहीं है। इसकी सच्चाई का फैसला ‘कहां और कैसे’ से तय होता है। मसलन, जापान का निक्केई सूचकांक बीस साल पहले अक्टूबर 1992 में 16767 अंक पर था। अगस्त 1993 में 21,027 और जून 2006 में 22,757 तक चला गया। लेकिन फिर गिरने का सिलसिला शुरू हुआ तो अभी अक्टूबर 2012 में 8596 अंक पर आ चुका है। बीस सालऔरऔर भी

एनसीएल इंडस्ट्रीज का नाम पहले नागार्जुन सीमेंट लिमिटेड हुआ करता था। पिछले 25 सालों से आंध्र प्रदेश में नागार्जुन ब्रांड का सीमेंट बेचती है। पिछले साल की जून तिमाही में 2.57 करोड़ रुपए का घाटा उठाया था। लेकिन इस साल की जून तिमाही में 16.95 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। इस बार उसकी बिक्री भी पूरे 84.08 फीसदी बढ़कर 122.14 करोड़ रुपए हो गई है। लेकिन इन नतीजों का खास असर अभी तक उसके शेयरोंऔरऔर भी

निराशा का कोई अंत नहीं। मंदड़ियों को कभी यकीन ही नहीं आएगा कि तेजी का आगाज हो चुका है और अब निफ्टी के 6300 तक पहुंचने की भड़क खुल चुकी है। निफ्टी आज 5596.60 तक जाने के बाद मामली गिरावट के साथ 5567.05 पर बंद हुआ है। सेंसेक्स भी 0.30 फीसदी गिरकर 18,507.04 पर बंद हुआ है। ट्रेडरों को हमेशा पढ़ाया क्या, चढ़ाया जाता है कि वे बाजार चलानेवाले उस्तादों और एफआईआई से भी बेहतर पारखी हैं।औरऔर भी

बाजार अगर थोड़ा इधर-उधर हो भी रहा है तो चिंता करने की कोई बात नहीं। यह बाजार के जमने का दौर है। अभी वह जितना ज्यादा खुद को जमाएगा, उतना ही ज्यादा उसके तेजी से उठने के आसार बढ़ जाएंगे। अगर निफ्टी 5500 के नीचे जाता है, तभी मंदी की धारणा पालिए और अगर यह 5780 को पार कर जाता है तो जबरदस्त तेजी के मूड में आ जाइए। आज तो यह महज 6.65 अंक गिरकर 5625.45औरऔर भी

वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक के गवर्नर दो ऐसी शख्सियतें हैं जिनका एक-एक बयान शेयर बाजार को प्रभावित कर सकता है। सावधानी हटी दुर्घटना घटी। जरा-सा गलत बयान दे दिया तो बाजार में पलीता लग सकता है। लेकिन पहले पी चिदंबरम और अब प्रणव मुखर्जी कह चुके हैं कि उन्हें बाजार का उठना-गिरना नहीं समझ में आता। पिछले हफ्ते 3 मई को करीब सवा तीन बजे शाम सालाना मौद्रिक नीति पेश किए जाने के बाद रिजर्व बैंकऔरऔर भी

ऐसा कैसे हो सकता है कि एक दिन कोई शेयर 52 हफ्ते का शिखर बनाए और अगले ही दिन 20 फीसदी के निचले सर्किट का शिकार हो जाए? लेकिन सुमीत इंडस्ट्रीज के साथ ऐसा ही हुआ है। बुधवार, 11 मई को उसने वित्त वर्ष 2010-11 और मार्च 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए जो वाकई काफी जानदार-शानदार हैं। शेयर ऐसा उछला कि 42.30 रुपए पर पहुंच गया। लेकिन अगले ही दिन यानी, कल यह बीएसई (कोडऔरऔर भी

कुछ लोगों को यकीनन बुरा लग सकता है कि जिस कंपनी की शुद्ध बिक्री दिसंबर 2010 की तिमाही में 287.49 करोड़ रुपए रही हो, जिसने पिछले वित्त वर्ष 2009-10 में 812.26 करोड़ की शुद्ध बिक्री हासिल की हो, उसके शेयर को चिरकुट क्यों कहा जा रहा है। लेकिन आम निवेशक के नजरिए से मुझे रोहित फेरो-टेक लिमिटेड एक चिरकुट कंपनी लगती है और उसका शेयर भी एकदम चिरकुट। वह भी तब, जब इसका ठीक पिछले बारह महीनोंऔरऔर भी

किसी शेयर की बुक वैल्यू 17.97 रुपए हो और बाजार में उसका भाव पिछले कई महीनों से 12-14 रुपए चल रहा हो तो समझ में नहीं आता। लेकिन नाकोडा लिमिटेड का हाल ऐसा ही है। ऐसा नहीं कि इसके बारे में किसी को जानकारी न हो और यह कोई गुमनाम कंपनी हो। मीडिया से लेकर इंटरनेट के अलग-अलग फोरम पर इसके बारे में बराबर लिखा जा रहा है। कइयों ने इसे मल्टी बैगर (कई गुना रिटर्न देनेवाला)औरऔर भी