चूंकि हमारे शेयर बाज़ार में विदेशी निवेशक संस्थाएं (एफआईआई) बड़ी दबंग स्थिति में हैं। इसलिए बाज़ार का उठना गिरना इससे भी तय होता है कि डॉलर के मुकाबले रुपए का क्या हाल है। कल डॉलर का भाव 62.30 रुपए पर लगभग जस का तस रहा तो निफ्टी भी ज्यादा नहीं गिरा। हालांकि लगातार पांचवें दिन बाज़ार का गिरना पिछले तीन साल की सबसे बुरी शुरुआत है। पर सुबह दस बजे बाज़ार को बहुत तेज़ झटका लगा कैसे?…औरऔर भी

मन को न संभाले तो हर ट्रेडर जुए की मानसिकता का शिकार होता है। मान लीजिए, नौ बार सिक्का उछालने पर टेल आए तो हममें से ज्यादातर लोग मानेंगे कि अगले टॉस में हेड आना पक्का है। जबकि वास्तविकता यह है कि पिछले नौ की तरह दसवें टॉस में भी हेड या टेल की संभावना 50-50% है। इसी मानसिकता में बार-बार नुकसान खाकर हम लंबा दांव खेल सब गंवा बैठते हैं। अब करें सही दांव की शिनाख्त…औरऔर भी

महीने का आखिरी गुरुवार। डेरिवेटिव सौदों के सेटलमेंट का दिन। यह भारतीय शेयर बाज़ार में ऑपरेटरों का दिन होता है। वे घात लगाकर शिकार करते हैं। शिकार एकदम नज़दीक आ जाए। उसे कोई खटका न लगे। जब वो पूरी तरह निश्चिंत हो जाए तो हमला करके उसे चिंदी-चिंदी कर दो। सालों-साल से यही होता आया है। कल भी यही हुआ। बाज़ार बंद होने के 45 मिनट पहले खेल शुरू हुआ और देखते ही देखते सारा सीन बदलऔरऔर भी

आज मार्च के डेरिवेटिव सौदों के सेटलमेंट का दिन है। यानी, जबरदस्त उठापटक का दिन। आज आम ट्रेडरों या निवेशकों की नहीं, ऑपरेटरों की मर्जी चलती है। जो जितना बलवान, वो उतना धनवान। जानकार बताते हैं कि निफ्टी में सेटलमेंट 5665 के आसपास हो सकता है, जबकि नीचे में यह 5610 के ऊपर टिके रखने की हरचंद कोशिश करेगा। इस बीच विदेशी निवेशक संस्थाओं की खरीद और घरेलू निवेशक संस्थाओं की बिक्री का सिलसिला जारी है। मंगलऔरऔर भी

हफ्ते के पहले दिन निफ्टी 5690 का स्तर तोड़कर ऊपर में 5718 तक चला गया। लेकिन बंद हुआ पहले से नीचे 5634 अंक पर। आगे का हाल यह है कि दोपहर दो बजे तक चढ़ा रहा बाज़ार जिस तरह बाद में बिकवाली के दबाव में गिरा है, उससे नहीं लगता कि आज होली के एक दिन पहले कोई खास रंगत आएगी। वो केंद्र सरकार के टिके रहने और जल्दी चुनावों को लेकर डर रहा है। लेकिन यूरोपीयऔरऔर भी

एक चक्र है जो अनवरत चलता रहता है। समय की घड़ी में कोई चाभी भरने की जरूरत नहीं। न ही उसमें नई बैटरी लगानी पड़ती है। समय के साथ हर चीज परिपक्व होती है। पेड़-पौधों से लेकर इंसान और ज्ञान व परंपरा तक। अप्रैल में इस कॉलम को दो साल पूरे हो जाएंगे। नहीं पता कि यहां दिया जा रहा ‘अर्थ’ आपके कितने ‘काम’ का बन पाया है। इसे तो आप ही बेहतर बता सकते हैं। हां,औरऔर भी

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इस समय देश के भीतर और दुनिया के वित्तीय बाजारों में जैसी अनिश्चितता चल रही है, उसकी वजह से भारतीयों ने शेयर बाजार में निवेश बेहद घटा दिया है। वैश्विक स्तर की निवेश व सलाहकार फर्म मॉरगन स्टैनले की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चालू साल 2011 में भारतीय लोगों ने अपनी कुल आस्तियों का बमुश्किल 4 फीसदी इक्विटी बाजार में लगा रखा है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले चालीस सालों में इतना कम निवेश केवल दोऔरऔर भी

अब निवेश के लिए मर चुका है लांग टर्म। लद चुका है लांग टर्म निवेश का ज़माना। आज का दौर खटाखट नोट बनाने का है। रुझान पकड़कर समझदारी से ट्रेडिंग करने का। बाजार चाहे गिरे, या बढ़े। बनाइए नोट खटाखट। दोनों ही हाल में कमाई। दोनों हाथों में लड्डू और सिर कढ़ाई में। जी हां, ऑनलाइन ट्रेडिंग एकेडमी का यही दावा है। उसका कहना है कि वह आपको हफ्ते भर में ऐसी ट्रेनिंग दे देगी कि आपऔरऔर भी

अगर आप जाने-अनजाने, किसी के कहने या गलती से या खुद अपने-आप इक्विटी बाजार में आ ही गए हैं तो मौजूदा देशी-विदेशी हालात का खामियाजा आपको भुगतना ही पड़ेगा। शेयर बाजार में ऐसा होता ही है, इससे बचा नहीं जा सकता। असल में इसीलिए शेयर बाजार सबसे ज्यादा जोखिम से भरा माना जाता है। लेकिन अब तो सुरक्षित माने जानेवाले ऋण बाजार ने भी निवेशकों को झटके देना शुरू कर दिया है। सोना जैसा माध्यम तक सुरक्षितऔरऔर भी

खबर आई है कि पिछले हफ्ते पूंजी बाजार के 13 उस्तादों ने मुंबई में जुहू के फाइव स्टार होटल में एक मीटिंग की जिसमें तय किया गया कि उन्हें आगे कैसे और क्या करना है। इस मीटिंग में कुछ एफआईआई ब्रोकरों से लेकर प्रमुख फंड मैनेजरों व ऑपरेटरों ने शिरकत की। उनके बीच जो भी खिचड़ी पकी हो, लेकिन इससे इतना तो साफ हो गया है कि वे एक कार्टेल की तरफ काम कर रहे हैं जोऔरऔर भी