अमेरिका की करनी हमें क्यों भरनी!
अमेरिका में बजट घाटा जीडीपी का 8.5%, चालू खाते का घाटा 3% और ऋण जीडीपी अनुपात 101.6% है। पर उस पर कोई फर्क नहीं क्योंकि डॉलर है सारी दुनिया की रिजर्व मुद्रा। वहीं भारत में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.8%, चालू खाते का घाटा 4.8% और ऋण जीडीपी अनुपात 67.6% है। फिर भी भारत इतना हलकान! क्यों आखिर अमेरिका की करनी का फल सारी दुनिया भुगते? सेंसेक्स क्यों गिरा 651 अंक व निफ्टी आया 209 अंक नीचे?औरऔर भी
कोहराम 90 अरब डॉलर की कमी से!
डॉलर का 66.30 रुपए हो जाना सरकार की अदूरदर्शी नीतियों का नतीजा है। इसे संभालने का कोई शॉर्टकट नहीं। समस्या यह है कि भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की उत्पादकता घट गई है। दुनिया में भारतीय मालों के पिटने से हमारा व्यापार घाटा 195 अरब डॉलर हो चुका है। सेवा उद्योग और अनिवासी भारतीय देश में 105 अरब डॉलर ला रहे हैं। इस तरह बची 90 अरब डॉलर की कमी कोहराम मचाए हुए है। फिर, कैसे बढ़े शेयर बाज़ार?औरऔर भी