मेहनत का मोल नहीं, प्रतिभा का भाव नहीं। ठगों की बस्ती है। ठगी का दौर है। कोई सीधे-सीधे ठग रहा है तो कोई घुमाकर। सारा कुछ डर और लालच के हमारे शाश्वत भाव का फायदा उठाकर किया जा रहा है। लेकिन यह भी तो एक दौर है। बीत जाएगा।और भीऔर भी