सहारा इंडिया परिवार पर वित्तीय क्षेत्र के दो नियामकों, रिजर्व बैंक और सेबी के बाद तीसरे नियामक आईआरडीए (इरडा) की भी भृकुटि टेढ़ी हो गई है। उसने पिछले साल 11 अगस्त को समूह की जीवन बीमा कंपनी, सहारा लाइफ इंश्योरेंस को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसके जवाब और 13 दिसंबर को हुई निजी सुनवाई के बाद इरडा ने कंपनी को कुल 23 इल्जांमों में से केवल तीन में दोषी पाया है और इसके लिए कुलऔरऔर भी

कंप्टीशन अपीलेट ट्राइब्यूनल (कॉम्पैट) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा लगाए गए 55.5 करोड़ रुपए के जुर्माने पर रोक लगा दी है। हालांकि ट्राइब्यूनल ने एनएसई से इस मामले में आयोग के अन्य निर्देशों का पालन करने को कहा। सीसीआई ने बाजार में मजबूत स्थिति का दुरूपयोग करने का दोषी ठहराते हुए एनएसई पर जुर्माना लगाया था। उसके आदेश के खिलाफ एनएसई की याचिका पर अंतरिम निर्देश देते हुए गुरुवार को अपीलीयऔरऔर भी

अगर किसी भी ब्रोकर ने पूरा मार्जिन लिए बगैर अपने ग्राहक को डेरिवेटिव बाजार में ट्रेड करने दिया तो उसे भारी पेनाल्टी देनी होगी। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने गुरुवार को सभी स्टॉक एक्सचेंजों को भेजे एक सर्कुलर में यह निर्देश दिया है। उसका कहना है कि एक्सचेंजों को ब्रोकरों को ऐसी कोई ढील नहीं देकर उन पर पेनाल्टी लगानी चाहिए। एक्सचेंजों को इस सर्कुलर पर अमल 1 सितंबर 2011 से करना है। सेबी का कहनाऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने 14 लिस्टेड कंपनियों को हिदायत दी है कि वे दो हफ्ते के भीतर निवेशकों की बकाया शिकायतो का निपटारा कर दें, नहीं तो उनमें से हर किसी पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। सेबी इस बाबत इनमें से अधिकांश कंपनियों को पहले भी पत्र लिख चुकी है। लेकिन उन्होंने इसको कोई तवज्जो नहीं दी। इन कंपनियों के नाम हैं – डीएसजे कम्युनिकेशंस, सतगुरु एग्रो इंडस्ट्रीज, राज इरिगेशन,औरऔर भी

एक एनजीओ ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और अटॉर्नी जनरल जी.ई. वाहनवती के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) नाम की इस संस्था ने सिब्बल पर आरोप लगाया है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सिलसिले में उन्होंने अनिल अंबानी की अगुवाई वाली आरकॉम पर लगने वाले जुर्माने की रकम को 650 करोड़ से घटाकर 5 करोड़ कर दिया। सीपीआईएल का यह भी आरोपऔरऔर भी

ब्रिटेन में मौजूदगी रखने वाली भारतीय कंपनियां और भारत में मौजूद ब्रिटिश कंपनियां एक सख्त ब्रिटिश कानून के दायरे में आ गई हैं। यह कानून घूसखोरी को रोकने के लिए बनाया गया है। ब्रिटेन का घूसखोरी अधिनियम-2010 शुक्रवार, 1 जुलाई से प्रभाव में आ गया। इस कानून के तहत घूसखोरी अथवा भ्रष्टाचार में लिप्त पाए लोगों को 10 साल तक की जेल हो सकती है और उनके खिलाफ असीमित जुर्माना लगाया जा सकता है। दोषी पाई गईऔरऔर भी

निर्धारित समय के भीतर आवंटित कपास का निर्यात करने में विफल रहने वाले कपास निर्यातकों को भविष्य में आवंटन से वंचित रखा जा सकता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कहा है कि वह निर्धारित समय सीमा के भीतर निर्यात करने से चूकने वाले कपास निर्यातकों के खिलाफ दंड की कार्रवाई भी शुरू करेगा। कपास की किल्लत के चलते कोटा के जरिए कपास के सीमित निर्यात की अनुमति दी गई है। शुरुआत में कोटा आवंटन 55 लाखऔरऔर भी

अगर कोई व्यक्ति केंद्र से लेकर पंचायत स्तर तक के निकाय द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण में मांगी गई सूचना देने से मना करता है या गलत सूचना देता है तो उसे छह महीने की सामान्य जेल या जुर्माना या दोनों की ही सजा हो सकती है। यह प्रावधान केंद्र सरकार सरकार द्वारा अधिसूचित सांख्‍यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 के अंतर्गत सांख्‍यिकी संग्रहण नियमावली, 2011 में किया गया है। बता दें कि संसद  ने 7 जनवरी, 2009 कोऔरऔर भी

पंजाब सरकार ने राज्य में समग्र ‘सेवा का अधिकार अधिनियम’ अपना लिया है। यह कानून नागरिकों को समय पर सेवा मुहैया कराना सुनिश्चित करेगा और किसी भी देरी के लिए 500 से 5000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। जल्दी ही इस कानून को अधिसूचित कर दिया जाएगा और अगले जुलाई माह से यह लागू हो जाएगा। इसी के साथ पंजाब निर्धारित अवधि (1 से 60 दिन) में 67 सेवाएं उपलब्ध करानेवाला देश का पहला राज्यऔरऔर भी

आयकर विभाग के खिलाफ मुकदमा लड़ रही देश की दूसरे नंबर की जीएसएम मोबाइल सेवा कंपनी वोडाफोन ने विभाग पर आरोप लगाया है कि वह कानूनों को तोड़-मरोड़ कर नई व्याख्या कर रहा है। आयकर विभाग ने हचिसन-एस्सार के अधिग्रहण के मामले में कंपनी को हजारों करोड़ रूपए के कर और जुर्माने का नोटिस दे रखा है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने कल, शुक्रवार को वोडाफोन को आयकर विभाग के सामने पेश होने का आदेश दियाऔरऔर भी