अपने यहां 20,000 रुपए की सीमा बड़ी चमत्कारिक है। उसे छूते ही कालाधन सफेद हो जाता है। अभी तक राजनीतिक पार्टियां चंदे की ज्यादातर रकम को इससे कम बताकर काले को सफेद करती रही हैं। अब सहाराश्री ने भी यही रास्ता अपना लिया है। सहारा समूह की दो कंपनियों की तरफ से जुटाए गए 24,000 करोड़ रुपए को लौटाने के बारे में पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा ने अविश्वास जताया तो सहाराऔरऔर भी

हमारे कॉरपोरेट जगत और उसकी तरफ से लामबंदी करने वाले उद्योग संगठनों को भारतीय लोकतंत्र की जमीनी हकीकत की कितनी समझ है, इसकी एक बानगी पेश की है जानेमाने संगठन, कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने। मंगलवार को सीआईआई के सालाना अधिवेशन को खुद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपनी मौजूदगी से नवाजा था। उसी अधिवेशन में सीआईआई की एक टास्क फोर्स ने चुनाव सुधारों पर एक विस्तृत रिपोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी को सौंपी,औरऔर भी

जिस देश के तीन-चौथाई से ज्यादा लोग दिन में 50 रुपए से कम में गुजारा करते हों, वहां की केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में अगर तीन-चौथाई से ज्यादा मंत्री करोड़पति हों तो एक बात तो साफ है कि यह सरकार सही मायनों में बहुमत का प्रतिनिधित्व नहीं करती। सवाल यह भी है कि केंद्र की कांग्रेस लेकर, उत्तर प्रदेश की बीएसपी, तमिलनाडु की एआईडीएके और गुजरात की बीजेपी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है तो ये पार्टियां देशऔरऔर भी

एक तरफ लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए बनी संयुक्त समिति में बहस जारी है, दूसरी तऱफ केंद्र सरकार ने इससे जुड़े कई विवादास्पद मुद्ददों पर सीधे राज्‍य सरकारों और राजनीतिक दलों की राय मांग डाली है। इस सिलसिले में संयुक्‍त मसौदा समिति के अध्‍यक्ष वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की तरफ से एक खत भेजा गया है। मूल पत्र अंग्रेजी में है। सरकार की तरफ से किया गया उसका अनुवाद यहा पेंश है… उच्‍च पदोंऔरऔर भी

चुनाव भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है – यह कहना है खुद देश के मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी का। हालांकि यह सच देश का हर नागरिक जानता है। लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त के मुंह से इस बात के निकलने का अलग महत्व है। वैसे यह उनकी विवशता को भी दिखाता है कि सब कुछ जानते हुए की वे कुछ नहीं कर सकते। मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी ने शुक्रवार को राजधानी दिल्लीऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2009-10 में कांग्रेस की आय 497 करोड़ रुपए रही है। इसके बाद बीजेपी की आय 220 करोड़ रुपए और बीएसपी की आय 182 करोड़ रुपए रही है। यह जानकारी सूचना अधिकार के तहत हासिल की गई है। इस दौरान सीपीएम की आय 63 करोड़, एनसीपी की आय 40 करोड़, सपा की आय 39 करोड़, आरजेडी की आय चार करोड़ और सीपीआई की आय एक करोड़ रुपए रही है। 2002-03 से 2009-10 के बीच कांग्रेस कीऔरऔर भी