हम अगर शेयर बाज़ार में निवेश करते हैं तो कंपनियों के विकास में हिस्सेदारी करते हैं। आईपीओ के जरिए प्राइमरी बाज़ार में लगाया गया धन बिना किसी ब्याज व देनदारी के सीधे कंपनी को मिल जाता है। ऐसा न हो तो कंपनी के लिए पूंजी की लागत बढ़ जाएगी। सेकेंडरी बाज़ार/स्टॉक एक्सचेंज इस निवेश के रिस्क को संभालने का माध्यम हैं। वो हमें जब चाहें, निकल जाने का मौका देता है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

सुब्बु सब जानता है। बचत खाते की 6 फीसदी ब्याज दर पर कोटक महिंद्रा बैंक का यह विज्ञापन आपने देखा ही होगा। शेयर बाजार के बारे में भी यही कहा जाता है कि वह सब जानता है। आप उसे चौंका नहीं सकते क्योंकि उसे पहले से सब पता रहता है। लेकिन यह आंशिक सच है, पूरा नहीं। ज़िंदगी की तरह बाजार में भी चौंकने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। बाजार हमेशा वर्तमान को पचाकर और भविष्यऔरऔर भी

प्राइमरी बाजार ही वह चौराहा है, वो दहलीज है, जहां निवेशक पहली बार कंपनी से सीधे टकराता है। प्रवर्तक पब्लिक इश्यू (आईपीओ या एफपीओ) के जरिए निवेशकों के सामने अपने जोखिम में हिस्सेदारी की पेशकश करते हैं। निवेशक खुद तय करके अपने हिस्से की पूंजी दे देता है। फिर कंपनी सारी पूंजी जुटाकर अपने रस्ते चली जाती है और निवेशक अपने रस्ते। निवेशक की पूंजी चलती रही, कहीं फंसे नहीं, तरलता बनी रहे, कंपनी के कामकाज़ कोऔरऔर भी

शेयर बाजार में चल रही मायूसी ने पूंजी बाजार के दूसरे हिस्से प्राइमरी बाजार में भी सन्नाटा फैला दिया है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में पूंजी बाजार में उतरनेवाली 22 कंपनियों ने आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) लाने का इरादा ही छोड़ दिया है। इसके साथ ही बड़े निवेशकों को सीधे खींचनेवाले क्यूआईपी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट) बाजार में भी एकदम मुर्दनी छा गई है। ब्रोकरेज फर्म एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज के ताजा अध्ययन के मुताबिक जिन 22 कंपनियों नेऔरऔर भी

1. इक्विटी शेयर क्या है? इक्विटी शेयर को आम बोलचाल में शेयर या स्टॉक भी कहा जाता है। इससे किसी कंपनी में अमुक अंश की हिस्सेदारी व्यक्त होती है। इक्विटी शेयरधारक कंपनी के नफे-नुकसान में, अपने शेयरों की संख्या के अनुपात में व्यवसायिक हिस्सेदार होता है। इसके धारक को कंपनी के सदस्य का दर्जा प्राप्त होने के साथ कंपनी के प्रस्तावों पर अपना विचार व्यक्त करने और वोट देने का अधिकार प्राप्त है। 2. राइट्स इश्यू/राइट्स शेयरऔरऔर भी