केंद्रीय वित्त मंत्रालय में जुलाई 2017 से लेकर जुलाई 2019 तक आर्थिक मामलात के सचिव से लेकर वित्त सचिव तक रह चुके सुभाष चंद्र गर्ग ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पिछले ही महीने उनकी किताब, ‘वी आलसो मेक पॉलिसी’ का एक अंश अखबारों में सुर्खियां बन गया था जिसमें खुलासा किया गया था कि 14 सितंबर 2018 को एक बैठक में रिजर्व बैंक द्वारा केंद्र सरकार को धन देने से मना करने परऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की जिन कंपनियों के पास इफरात कैश है, वे अब अपने शेयरों को वापस खरीदने के साथ-साथ दूसरी सरकारी कंपनियों के विनिवेश में भी शिरकत कर सकती हैं। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने काफी समय से अटकते चले आ रहे इस फैसले पर मुहर लगा दी। मंत्रिमंडल के इस फैसले की जानकारी देते हुए भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने इजाजत दे दी है। लेकिन क्या करना है, इसकाऔरऔर भी

काठ की हांडी दोबारा नहीं चढ़ती है और अच्छी चीजें बाज़ार की नज़रों से कभी बच नहीं सकतीं। हम देखें या न देखें, लोगों की पारखी निगाहें ताड़ ही लेती हैं कि मूल्य कहां पक रहा है। नहीं तो क्या वजह है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी, इलाहाबाद बैंक का जो शेयर महीने भर पहले 130 रुपए पर डोल रहा था, वह बिना किसी ट्रिगर या खेल के 195 रुपए पर पहुंच चुका है। महीने भर मेंऔरऔर भी

केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष 2011-12 के भीतर ही, यानी 31 मार्च 2012 से पहले ओएनजीसी और बीएचईएल के विनिवेश से करीब 14,500 करोड़ रुपए जुटाने जा रही है। इसके लिए कोई फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) नहीं आएगा, बल्कि इनके शेयरों की बिक्री स्टॉक एक्सचेंजों में नीलामी के नए माध्यम से की जाएगी। इस सिलसिले में मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह की बैठक बुधवार, 15 फरवरी को होने जा रही है। समूह के अध्यक्ष वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जीऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की बड़ी मुश्किल आसान कर दी है। अब शेयर बाजारों में लिस्टेड कोई भी कंपनी न्यूनतम 25 फीसदी पब्लिक शेयरधारिता हासिल करने के लिए सीधे अपने शेयर बेच सकती है। इसके लिए उसे कोई पब्लिक इश्यू लाने की जरूरत नहीं होगी। वह ऐसा इंस्टीट्यूशन प्लेसमेंट प्रोग्राम (आईपीपी) या स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए ब्रिकी प्रस्ताव लाकर कर सकती है। सेबी के बोर्ड ने मंगलवार को अपनी बैठक मेंऔरऔर भी

सरकार अब भी कहे जा रही है कि वित्त वर्ष 2011-12 के लिए तय विनिवेश लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। वित्त सचिव आर एस गुजराल ने मंगलवार को आगरा में ड्रग्स के खिलाफ कार्यरत एशिया-प्रशांत देशों की राष्ट्रीय एजेंसियों के प्रमुखों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, “ इस साल के लिए तय 40,000 करोड़ के विनिवेश लक्ष्य को छोड़ने की कोई वजह नहीं है। कई तरह के विकल्प हैं और कई किस्म के विकल्पोंऔरऔर भी

इंजीनियर्स इंडिया। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी जिसमें भारत सरकार की हिस्सेदारी 80.40 फीसदी है। पिछला एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) सवा साल भर पहले जुलाई 2010 में आया था। अगला एफपीओ भी देर-सबेर आएगा क्योंकि सरकार की हिस्सेदारी को घटाकर 75 फीसदी तक लाना जरूरी है। लेकिन अच्छी कंपनी के शेयर सस्ते में पाने की तमन्ना में उस्ताद लोग तब तक सरकारी कंपनियों के स्टॉक को दबाकर रखते हैं जब तक उनमें पब्लिक इश्यू की गुंजाइश बची रहतीऔरऔर भी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को उस सार्वजनिक खरीद नीति को मंजूरी दे दी जिसके तहत केंद्र सरकार के हर मंत्रालय, विभाग व कंपनी को अपनी सालाना जरूरत का कम से कम 20 फीसदी हिस्सा सूक्ष्‍म व लघु उद्यमों (एमएसई) से खरीदना होगा। इसमें माल व सेवाएं दोनों शामिल हैं। इन नीति को सूक्ष्‍म, लघु व मझोले उद्यम विभाग (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 की धारा 11 के तहत अधिसूचित किया जाएगा। नई नीति के मुताबिक केंद्र सरकार के इनऔरऔर भी

केंद्र सरकार 40,000 करोड़ रुपए के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकारी कंपनियों के पब्लिक इश्यू के अलावा दूसरे रास्तों पर भी विचार कर सकती है। यह कहना है वित्त मंत्रालय से संबद्ध आर्थिक मामलात विभाग के सचिव आर गोपालन का। उन्होंने राजधानी दिल्ली में बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिन सरकारी कंपनियों के पास अच्छा कैश है, उन्हें दूसरी सरकारी कंपनियों में सरकार का हिस्सा खरीदने के लिए कहा जाऔरऔर भी

देश भर में हर साल की तरह इस बार भी 14 सितम्बर को हिं‍दी दि‍वस मनाया जाएगा। इस मौके पर राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित समारोह में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील 52 पुरस्कार बांटेंगी। ये पुरस्कार राजभाषा नीति‍ के कार्यान्‍वयन की श्रेणी के अंतर्गत सरकार के मंत्रालयों, वि‍भागों, सार्वजनि‍क उपक्रमों, राष्‍ट्रीयकृत बैंकों और वि‍त्‍तीय संस्‍थानों, स्‍वायत्‍त नि‍कायों, नि‍गमों व बोर्डों को दि‍ए जाएंगे। बता दें कि 14 सितम्बर का महत्वऔरऔर भी