आम धारणा है कि पंजाब और केरल से सबसे ज्यादा मजदूर विदेश में कमाने जाते हैं। खाड़ी के देश, खासकर अरब के देश इनके खास ठिकाने हैं। लेकिन हकीकत यह है कि उत्तर प्रदेश अरब देशों को मजदूर भेजने में सबसे आगे हो गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2012 में उत्तर प्रदेश से 1.91 लाख मजदूर अरब देशों में काम करने गए। इसके बाद केरल (98,000), आंध्र प्रदेश (92,000), बिहार (84,000), तमिलनाडु (78,000), राजस्थान (50,000) औरऔरऔर भी

माना जाता है कि किसानों को सरकार मुफ्त में बिजली देती है। लेकिन योजना आयोग की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों में बिजली की दरें सबसे ज्यादा कृषि व सिंचाई में और सबसे कम व्यावसायिक व औद्योगिक क्षेत्र में बढ़ाई गई हैं। यही नहीं, पिछले पांच सालों में कई राज्यों में खेतिहर ग्राहकों के लिए बिजली की दरें दोगुनी से ज्यादा हो चुकी हैं। किसानों के लिए सबसे ज्यादा महंगी बिजली पंजाब में हुईऔरऔर भी

यूं तो आज के समय में कंपनियों के साथ राष्ट्रीयता या राष्ट्रवाद को जोड़ने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि देशी-विदेशी हर कंपनी का मकसद अंधाधुंध मुनाफा कमाना है। अन्यथा, वॉलमार्ट या केयरफोर से सबसे ज्यादा चोट खा सकने वाले बिग बाज़ार या रिलायंस फ्रेश जैसे देशी रिटेलर ही उनका स्वागत पलक पांवड़े बिछाकर नहीं कर रहे होते। किशोर बियानी जैसे लोग तो इस चक्कर में हैं कि अपने उद्यम की इक्विटी इन विदेशियों को बेचकर कैसेऔरऔर भी

वर्ष 2011-12 की खरीफ फसल में 164 लाख टन से अधिक धान की खरीद की गई है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार, 2 जनवरी 2012 तक विभिन्‍न सरकारी एजेंसियों द्वारा 164,84,195 टन धान की खरीद की जा चुकी है। इसमें पंजाब ने सबसे अधिक 76,60,745 टन धान की खरीदारी की जबकि छत्‍तीसगढ़ 21,25,475 टन धान की खरीद करके उससे बहुत नीचे दूसरे नंबर पर रहा। हरियाणा ने 19,66,167 और उत्‍तर प्रदेश ने 14,30,184 टन धान खरीदा।और भीऔर भी

पंजाब के किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया तो वे अपने खेतों में महीनों की मेहनत से पैदा किया आलू सड़कों के बीचोबीच फेंक देंगे। पिछले कुछ हफ्तों से वे अभी तक सड़कों के किनारे आलू फेंकते रहे हैं। आलू उत्पादक किसान अपनी फसल इसलिए फेंकने को मजबूर हुए हैं कि क्योंकि आलू की कीमत एक रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई है, जबकि उन्हें आलू कीऔरऔर भी

खरीफ फसल के दौरान 2011-12 (अक्‍तूबर-सितम्‍बर) में चावल की सरकारी खरीद का आंकड़ा एक करोड़ टन का निशान पार कर गया है। खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार 17 नवम्‍बर, बुधवार तक चालू खरीफ सीजन के दौरान विभिन्‍न सरकारी एजेंसियों ने 1,01,04,088 टन चावल की खरीद की। इस मामले में पंजाब सबसे आगे है जहां 76,04,255 टन चावल खरीदा गया। 19,30,703 टन चावल खरीदने के साथ हरियाणा दूसरे नम्‍बर पर है। तीसराऔरऔर भी

उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) 40 रूपए प्रति क्विंटल बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री मायावती की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। अब सामान्य किस्म के गन्ने की बढ़ी कीमत 240 रुपए, अच्छे किस्म के गन्ने के लिए 250 रुपए और अन्य किस्म के गन्ने की कीमत 235 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगी। इस फैसले की घोषणा करते हुए खुद मुख्यमंत्री मायावती ने लखनऊ में बताया कि निजी चीनीऔरऔर भी

पंजाब सरकार ने राज्य में समग्र ‘सेवा का अधिकार अधिनियम’ अपना लिया है। यह कानून नागरिकों को समय पर सेवा मुहैया कराना सुनिश्चित करेगा और किसी भी देरी के लिए 500 से 5000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। जल्दी ही इस कानून को अधिसूचित कर दिया जाएगा और अगले जुलाई माह से यह लागू हो जाएगा। इसी के साथ पंजाब निर्धारित अवधि (1 से 60 दिन) में 67 सेवाएं उपलब्ध करानेवाला देश का पहला राज्यऔरऔर भी

प्याज निर्यात पर पाबंदी लगाने के पाकिस्तान के कदम के जवाब में अमृतसर स्थित सब्जी निर्यातकों ने शुक्रवार को टमाटर व अन्य सब्जियों से लदे ट्रक अटारी-वाघा सीमा से पाकिस्तान भेजने से इनकार कर दिया। टमाटर, अदरक, मिर्च समेत सब्जियों से लदे करीब 70 ट्रकों को सब्जी निर्यातकों द्वारा रोक लिया गया है और इन्हें सीमा शुल्क से मंजूरी के लिए नहीं भेजा गया। अमृतसर के सब्जी व्यापारी अनिल मेहरा ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को बताया,औरऔर भी

रबी फसलों की बुवाई कहीं नमी की कमी से तो कहीं हाल की बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसी के चलते अभी तक रबी सीजन की बुवाई पिछले साल के मुकाबले अभी तक आधी भी नहीं हो पाई है। सबसे चिंताजनक स्थिति गेहूं बुवाई की है। इसका रकबा पिछले साल के मुकाबले सर्वाधिक 30 लाख हेक्टेयर तक पीछे है। बुवाई में विलंब होने से गेहूं की उत्पादकता पर विपरीत असर पडऩे का खतरा है। इसेऔरऔर भी