भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की अधिकतर आबादी अभी या तो लॉकडाउन में है या काफी रोकटोक के साथ काम पर जा रही है। कोरोना वायरस का प्रकोप समाप्त करने की रणनीति यह नहीं है, यह बात सभी जानते हैं। इसका मकसद बीमारी के विस्फोट का दायरा घटाने और बचाव का ढांचा खड़ा करने के लिए समय हासिल करने तक सीमित है। फ्लू के वायरस की तरह यह गर्मी आने के साथ नरम पड़ जाएगा, यह समझऔरऔर भी

जब बजट के एक दिन पहले आई आर्थिक समीक्षा में सितंबर 2014 में ज़ोर-शोर से शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ योजना में संशोधन कर ‘असेम्बल इन इंडिया’ जोड़ दिया गया, तभी सकेत मिल गया था कि सरकार का मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने का इरादा अब ढीला पड़ गया है। सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ योजना शुरू करते वक्त लक्ष्य रखा था कि देश के जीडीपी में इसका योगदान 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 2022 तक 25औरऔर भी

आर्थिक मोर्चे से बुरी खबरों का आना रुक नहीं रहा। औद्योगिक गतिविधियों की रीढ़ माना गया इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र भी अब अपना दुखड़ा रोने लगा है। देश के 262 ताप विद्युत संयंत्रों में 133 संयंत्रों को मांग न होने के कारण बंद करना पड़ा है। इससे पहले परिवहन में इस्तेमाल होनेवाले डीजल और सड़क निर्माण में इस्तेमाल होनेवाले बिटूमेन की मांग घटने की खबर आ चुकी है। इस बीच देश के सबसे बडे बैंक एसबीआई ने अपनी रिसर्चऔरऔर भी

हम ज़मीन को छोड़े बगैर आसमान में उड़ना चाहते हैं! कार चलाना आ गया तो मान बैठते हैं कि हवाई जहाज़ भी उड़ा लेंगे। सोने व रीयल एस्टेट को जान लिया तो सोचते हैं कि शेयर बाज़ार और फॉरेक्स बाज़ार पर भी सिक्का जमा लेगे। यह संभव नहीं है क्योंकि भौतिक अर्थव्यवस्था और फाइनेंस की अर्थव्यवस्था में सचमुच ज़मीन आसमान का अंतर है। डिमांड, सप्लाई और दाम का रिश्ता यहां भी है और वहां भी। लेकिन समीकरणऔरऔर भी

दस में से नौ लोग सोचते/मानते हैं कि शेयर बाज़ार फटाफट धन कमाने का ज़रिया है। कमाई से ऊपर की कमाई! जिस भाव पर खरीदा, दूसरे ने उससे ज्यादा भाव पर खरीद लिया और नोट बनते चले गए। जबकि सोचना चाहिए कि हम ऐसी कंपनी को पूंजी दे रहे हैं, जो उस पर एफडी से ज्यादा कमाएगी। ध्यान रखें, स्टॉक्स दौलत बनाने का माध्यम हैं, बचत या आमदनी के नहीं। आज तथास्तु में एक मजबूत स्मॉल-कैप कंपनी…औरऔर भी

बजट एक ऐसी बला है, शोर थमने के बाद भी जिसका सार सामने नहीं आता। खासकर, फाइनेंस बिल इतना उलझा हुआ होता है कि पहुंचा हुआ वकील ही मसला सुलझा सकता है। ऐसे ही वकील, मुंबई की मशहूर लॉ फर्म डीएम हरीश एंड कंपनी के पार्टनर अनिल हरीश बताते हैं कि इस बार के बजट में पी चिदंबरम ने भारतीय कंपनियों को विदेशी कंपनियों के सहारे मात्र 15 फीसदी टैक्स देकर अपनी काली कमाई सफेद करने काऔरऔर भी

देश की अर्थव्यवस्था (जीडीपी) में कृषि, वानिकी व मत्स्य-पालन का योगदान घटकर 14% से नीचे आ गया है। मैन्यूफैक्चरिंग व खनन का सम्मिलित हिस्सा 17% के आसपास है। बाकी करीब-करीब 69% भाग सेवा क्षेत्र के हवाले है। सेवा क्षेत्र में सबसे बड़ा हिस्सा व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट व संचार का है। इसके बाद फाइनेंसिंग, बीमा, रीयल एस्टेट व बिजनेस सेवाओं का है। फिर नंबर सामुदायिक, सामाजिक व वैयक्तिक सेवाओं का है। इसके बाद कंस्ट्रक्शन और आखिर में बिजली,औरऔर भी

दोपहर साढ़े बारह बजे तक सब ठीक था। बाजार सपाट। न ऊपर, न ज्यादा नीचे। निफ्टी 5336.15 पर था, जबकि निफ्टी फ्यूचर्स 5353.55 के शिखर पर। फिर अचानक जाने क्या हुआ कि 2 बजकर 26 मिनट पर निफ्टी में वोल्यूम एकदम गिरकर गया और निफ्टी फ्यूचर्स सीधे 5000 की खाईं में जा गिरा। स्पॉट बाजार पर भी इसका सीधा असर पड़ा। आखिर ऐसा क्यों और कैसे हुआ? छानबीन जारी है। तमाम डीलरों का कहना है कि ऐसाऔरऔर भी

जिनका धंधा-पानी शेयर बाजार से जुड़ा है, हर सुबह उनकी यही चिंता रहती है कि आज कहां जाएगा बाजार। लेकिन बाजार कहीं भी जाए, उससे जुड़े अधिकांश लोगों की हालत अच्छी नहीं है। कल शाम बीएसई में निवेश से जुड़े प्रोफेशनल लोगों के एक समारोह में गया था, जहां साल भर बाद सेंसेक्स से लेकर, कच्चा तेल, सोना और सरकारी बांडों की यील्ड का अंदाज लगाया जा रहा था। मंच पर बैठे विशेषज्ञों की राय में एकऔरऔर भी