प्रोफेशनल ट्रेडर अगर छुट्टी पर न गया हो तो बाज़ार में नौसिखिया ट्रेडरों के जीतने की कोई गुंजाइश नहीं होती। प्रोफेशनल ट्रेडरों में मंजे हुए लोगों के साथ ही बैंक, एफआईआई, बीमा कंपनियों व म्यूचुअल फंडों के वेतन या कमीशन पर काम करने वाले कर्मचारी शामिल हैं। इसके अलावा अपने यहां कंपनी प्रवर्तकों से जुड़े इनसाइडर ट्रेडर भी सक्रिय हैं। लालच में यहां हाथ झुलाते घुस गए तो आपका लुटना तय है। अब नए हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

ट्रेडिंग एक हुनर है, जो जन्मजात नहीं, बल्कि सीखा जाता है। हरेक कामयाब ट्रेडर को निरपवाद रूप से सीखने के दौर से गुजरना पड़ता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि इस धंधे में कोई एंट्री-बैरियर नहीं। आपकी पृष्ठभूमि क्या है, उम्र क्या है, अनुभव है कि नहीं, इससे फर्क नहीं पड़ता। कोई भी शख्स अध्ययन, मनन व अभ्यास से कामयाब ट्रेडर बन सकता है, बशर्ते सही सोच और पूरा समर्पण हो। चलिए, बढ़ें सोमवार की ओर…औरऔर भी

ट्रेडिंग के लिए भावों की दशा-दिशा को कायदे से पढ़ना ज़रूरी है। पर इससे भी ज्यादा ज़रूरी है अपने मनोभावों को पढ़ना। मान लीजिए, आपने कोई स्टॉक पूरी गणना के बाद यह सोचकर खरीदा कि वो यहां से बढ़ेगा। लेकिन वो गिरने लगता है। आपका दिल डूबने लगता है। आप सोचते हैं कि जैसे ही यह उठकर ऊपर आएगा, आप बेचकर निकल लेंगे। दूसरे भी यही सोचते हैं। बेचनेवालों की भरमार, खरीदनेवाले नदारद। अब आज की ट्रेडिंग…औरऔर भी

इंसान हैं तो भावनाएं हैं और उनका रहना स्वाभाविक भी है। लेंकिन दुनिया में कामयाबी के लिए भावनाओं पर लगाम लगाना पड़ता है। बताते हैं कि भावनात्मक दिमाग और तार्किक दिमाग में 24:1 का अनुपात होता है। पैसे के मामले में हम और भी ज्यादा भावनात्मक हो जाते हैं। हम सब कुछ जानते-समझते हुए भी दिल की ज्यादा सुनते हैं। ट्रेडिंग में कामयाबी के लिए जरूरी है कि हम दिमाग की ज्यादा सुनें। अब रुख बाज़ार का…औरऔर भी

बंद भाव बड़ा महत्वपूर्ण है। तमाम विश्लेषणों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेयर के बंद भाव दिन के आखिरी भाव नहीं होते। दरअसल तीन से साढ़े तीन बजे तक जितने भी सौदे होते हैं, उनके भारित औसत से बंद भाव निकलता है। आप खुद एनएसई की वेबसाइट पर जाकर तस्दीक कर सकते हैं कि किस तरह बंद भाव अलग होता है और आखिरी भाव अलग। अब शुरुआत नए सप्ताह की…औरऔर भी

कुछ नहीं, बहुत-से लोग कहते हैं कि शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग साइंस के साथ-साथ आर्ट भी है। कला जो अंदर से आती है। लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं। ट्रेडिंग शुद्ध रूप से नंबरों का खेल है। किसी भाव पर लेनेवाले कितने हैं और बेचनेवाले कितने, इसी से तय होगा कि भाव आगे कहां जाएगा। चार्ट पर हमें चित्र-विचित्र आकृतियां नहीं, बल्कि खरीदने और बेचनेवालों का सही संतुलन दिखना चाहिए। शुरू करते हैं आज का अभ्यास…औरऔर भी

आप ऐसे ट्रेडर तो नहीं जो खुद का नुकसान करने पर आमादा है? ट्रेडिंग से हुए फायदे-नुकसान का ग्राफ बनाएं। अगर कुल मिलाकर ग्राफ का रुख ऊपर है तो आप सही जा रहे हैं। अन्यथा, तय मानिए कि आप बाज़ार की चाल नहीं पकड़ पा रहे और अपना ही नुकसान करने की फितरत के शिकार हैं। गहराई से सोचिए और अपने नज़रिए की पड़ताल कीजिए। इस बीच सौदों का साइज़ फौरन घटा दीजिए। अब रुख बाज़ार का…औरऔर भी

केवल सरकार के बांड सुरक्षित हैं। बाकी हर निवेश में यह रिस्क है कि जितना वादा है, कहा गया है या शुरू में सोचा है, उतना रिटर्न आखिरकार नहीं मिलेगा। अब यह निवेशक पर है कि वो आंख मूंदकर फैसला करे या सारे जोखिम का हिसाब-किताब पहले से लगाकर। इस मायने में ट्रेडर अलग हैं। वे सारा कुछ नापतौल कर न्यूनतम रिस्क लेते हैं। वे बड़ा जोखिम कतई नहीं उठाते। इस हफ्ते तो भयंकर उठापटक होनी है।…औरऔर भी

परसों कहा गया कि एलएंडटी का 6.45% गिरना अपने साथ शेयर बाज़ार को डुबा ले गया। कल यह तोहमत उसके साथ ही साथ एसबीआई पर भी लग गई क्योंकि एलएंडटी के शेयर 6.49% और गिरे, वहीं एसबीआई को 7.96% का सदमा लगा। निफ्टी में एलएंडटी का भार 4.05% और एसबीआई का भार 2.93% है। पर असल में यह झलक है कि सस्ते धन का प्रवाह रुकने से बुलबुला कैसे पिचक सकता है। बाज़ार अब घबराने लगा है।…औरऔर भी

वही पुरानी कहानी। डाउ जोन्स नीचे, एशियाई बाजार भी नीचे तो पंटरों ने भारत में भी 5590 का स्टॉप लॉस मारकर बिकवाली कर डाली। लेकिन निफ्टी ने उन्हें निचोड़ डाला। हालांकि निफ्टी मामूली गिरावट के साथ 5521.95 और निफ्टी फ्चूचर्स 5529.50 पर बंद हुआ है। लेकिन अब भी उसके बढ़कर 5650 तक जाने के पूरे आसार है। यह बेरोकटोक होगा क्योंकि ऑपरेटर अपनी पोजिशन रोल करने आगे ले जाने को तैयार नहीं हैं और टेक्निकल एनालिसिस परऔरऔर भी