अभी पिछले ही हफ्ते शनिवार, 11 फरवरी को बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने जीवन बीमा कंपनियों के एजेंटों के बारे में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं और आज, 15 फरवरी को इन्हीं दिशार्निदेशों का संबंधित हिस्सा साधारण या गैर-जीवन बीमा एजेंटों पर भी लागू कर दिया। नए दिशानिर्देश 1 जुलाई 1011 से लागू होंगे। इनके अनुसार साधारण या जीवन बीमा कंपनी के कर्मचारी का कोई भी नाते-रिश्तेदार उस कंपनी का बीमा एजेंट नहीं बन सकता। नाते-रिश्तेदारऔरऔर भी

करीब 30 लाख लोगों को बतौर एजेंट रोजगार देनेवाली जीवन बीमा कंपनियां इस समय अपना कमीशन बचाने और एजेंटों को ग्रेच्युटी व नवीनीकरण प्रीमियम से वंचित करने के लिए नया दांव खेल रही हैं। वे हर साल जितने नए एजेंटों की भरती करती हैं, उससे ज्यादा एजेंटों को निकाल देती हैं। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) की 2009-10 की सालाना रिपोर्ट से यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में वित्त वर्ष 2009-10 में कुलऔरऔर भी

बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने प्रस्ताव रखा है कि लोगों को झांसा देकर बीमा पॉलिसी बेचनेवाले एजेंट का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। तमाम बीमा कंपनियों की बहुत-सी पॉलिसियों का नवीनीकरण न होने की बढती समस्या के कारण इरडा ने यह प्रस्ताव किया है। बीमा नियामक का प्रस्ताव है कि अगर किसी एजेंट द्वारा बेची गई 50 फीसदी पॉलिसियों का सालाना नवीकरण नहीं होता है तो उस एजेंट का लाइसेंस रद्द कर दिया जाए। इरडाऔरऔर भी