दिसंबर महीने के दूसरे पखवाड़े में आम लोगों के लिए ऐसे सरकारी बांड जारी कर दिए जाएंगे जिसमें बचत को महंगाई की मार से सुरक्षित रखा जा सकता है। इन बांडों का नाम है इनफ्लेशन इंडेक्स्ड नेशनल सेविंग्स सिक्यूरिटीज – क्यूमुलेटिव (आईआईएसएस-सी)। इन्हें रिजर्व बैंक केंद्र सरकार से सलाह-मशविरे के बाद लांच कर रहा है। शुक्रवार को रिजर्व बैंक ने आधिकारिक जानकारी दी कि इन्हें दिसंबर माह के दूसरे हिस्से में पेश कर दिया जाएगा। बता देंऔरऔर भी

चालू वित्त वर्ष 2013-14 के पहले महीने अप्रैल में देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में मात्र दो फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि अर्थशास्त्री व अन्य विश्लेषक एक दिन पहले तक इसके 2.4 से 2.7 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान लगा रहे थे। महीने भर पहले मार्च में आईआईपी 2.5 फीसदी बढ़ा था। औद्योगिक उत्पादन के इस तरह उम्मीद से कम बढ़ने से शेयर बाज़ार को थोड़ी निराशा हुई और बीएसई सेंसेक्स 0.53 फीसदीऔरऔर भी

हम थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित थोक मुद्रास्फीति को मुद्रास्फीति ही कहें और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति को महंगाई मानें तो महंगाई की दर मई में घटकर 9.31 फीसदी पर आ गई है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की तरफ से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मई 2013 में सीपीआई 129.2 दर्ज किया गया है, जबकि साल भर पहले मई 2012 में यह 118.2 रहा था। इस तरह इस सूचकांक के बढ़नेऔरऔर भी

इस समय बैंकों के करीब 2.98 लाख करोड़ रुपए रिजर्व बैंक के पास सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) के रूप में पड़े हैं, जिस पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलता। ताजा आंकड़ों के मुताबिक बैंकों की कुल जमा इस समय 62,82,350 करोड़ रुपए है। इसका 4.75 फीसदी उन्हें हर समय बतौर सीआरआर रिजर्व बैंक के पास रखना पड़ता है। इसलिए अगर देश के सबसे बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने सीआरआर को खत्म करनेऔरऔर भी

अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि अक्टूबर में 4.7 फीसदी घटने के बाद नवंबर में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) जिस तरह 5.9 फीसदी बढ़ा था, उसे देखते हुए दिसंबर में आईआईपी की वृद्धि दर 3.4 फीसदी तो रहनी ही चाहिए। लेकिन सीएसओ (केंद्रीय सांख्यिकी संगठन) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में वास्वतिक वृद्धि मात्र 1.8 फीसदी की हुई है। साल भर पहले दिसंबर 2010 में यह वृद्धि दर 8.1 फीसदी रही थी।औरऔर भी

देश की नई पीढ़ी हो सकता है कि वित्तीय रूप से हम से कहीं ज्यादा साक्षर हो। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) स्कूलों में अगले शैक्षणिक वर्ष से वित्तीय साक्षरता को अलग विषय के रूप में पढ़ाने की तैयारी में जुटा हुआ है। यह नैतिक विज्ञान की तरह एक अलग विषय होगा। वित्तीय साक्षरता के तहत विद्यार्थियों को शेयर बाजार की ट्रेडिंग, ऑप्शंस व फ्यूचर्स जैसे डेरिवेटिव्स की जटिलता के साथ इनसाइडर ट्रेडिंग का भी ज्ञान करायाऔरऔर भी

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव का कहना है कि रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था को बढ़ने में मदद देने के लिए ब्याज दरें घटाने की जरूरत को समझता है। वे बुधवार को जयपुर में एक समारोह के दौरान बोल रहे थे। इसी समारोह में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने पहले कहा था कि अगर मुद्रास्फीति नीचे आती है तो केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर अपना रवैया बदल सकता है। गोकर्ण का कहना था कि आगेऔरऔर भी

अगर रिजर्व बैंक की पूर्व डिप्टी गवर्नर ऊषा थोराट की अध्यक्षता में बने कार्यदल की सिफारिशों का मान लिया गया तो गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) को पूंजी बाजार (प्राइमरी + शेयर बाजार) में दिए गए ऋण के लिए 150 फीसदी और कमर्शियल रीयल एस्टेट को दिए ऋण के लिए 125 फीसदी प्रावधान करना होगा। अभी इन दोनों ही ऋणों पर इन्हें 100 फीसदी प्रावधान करना पड़ता है। रिजर्व बैंक ने सोमवार को इस कार्यदल की रिपोर्टऔरऔर भी

केंद्र की यूपीए सरकार के आला मंत्री किस कदर झूठ बोलते और वादाखिलाफी करते हैं, यह पिछले दिनों अण्णा हज़ारे के अनशन के दौरान कई बार उजागर हुआ। लेकिन कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है कि वे देश के साथ कितने बड़े-बड़े झूठ बोलते रहे हैं। इनमें से एक झूठ का खुलासा हाल में ही किया है देश में किसानों को ऋण देने की निगरानी व देखरेख करनेवाले शीर्ष बैंक नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक)औरऔर भी

डॉ. दुव्वरि सुब्बाराव अब 2013 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर बने रहेंगे। उनका तीन साल का मौजूदा कार्यकाल अगले महीने 5 सितंबर को पूरा हो रहा था। कहा जा रहा था कि उनकी जगह किसी और को लाया जा सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को सारी उहापोह को दूर करते हुए डॉ. सुब्बाराव का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ा दिया। मजे की बात यह है कि ये फैसला डॉ. सुब्बाराव के जन्मदिन 11औरऔर भी