जिस तरह लोकतंत्र में हर शख्स को बराबर माना गया है, माना जाता है कि कानून व समाज की निगाह में हर कोई समान है, उसी तरह सुसंगत बाजार के लिए जरूरी है कि उसमें हर भागीदार बराबर की हैसियत से उतरे। यहां किसी का एकाधिकार नहीं चलता। इसलिए एकाधिकार के खिलाफ कायदे-कानून बने हुए हैं। लोकतंत्र और बाजार के बीच अभिन्न रिश्ता है। लेकिन अपने यहां लोकतंत्र और बाजार की क्या स्थिति है, हम अच्छी तरहऔरऔर भी

हर दिन 52 हफ्तों का पहला या आखिरी दिन होता है और हर दिन कोई कंपनी 52 हफ्ते का शिखर बनाती है तो कोई कंपनी 52 हफ्ते के रसातल पर चली जाती है। तो क्यों न हम रसातल में जानेवाली कंपनियों से कुछ समय के लिए ध्यान हटाकर उन कंपनियों पर लगाएं तो अपनी संभावनाओं के दम पर इस पस्त बाजार में भी सीना तानकर बढ़ी जा रही हैं। ऐसी ही एक कंपनी है कार्बोरनडम यूनिवर्सल। उसकेऔरऔर भी