दुनिया में दो तरह के लोग हैं। एक वो जो मूर्खों की तरह कोई परवाह किए बगैर गिरते-पड़ते बिंदास जिए जाते हैं। ऐसे मूर्खों की श्रेणी में मुझ जैसे बहुतेरे लोग आते हैं। दूसरे वो लोग हैं जो मूर्खों की तरह डर-डरकर ज़िंदगी जीते हैं; हर छोटे-बड़े फैसले से पहले जितनी भी उल्टी बातें हो सकती है, सब सोच डालते हैं। फिर या तो घबराकर चलने ही इनकार कर देते हैं या चलते भी हैं तो सावधानियोंऔरऔर भी

आजकल तो जिस भी आर्थिक फोरम या उद्योग के सेमिनार में जाओ, वहां एसएमई (लघु व मध्यम उद्योग) का नाम जरूर सुनने को मिल जाता है। यह क्षेत्र पिछली मंदी से बुरी तरह चोट खाने के बाद पटरी पर लौटने की पुरजोर कोशिश में लगा है। कुछ को फाइनेंस समय पर मिल जा रहा है, दूसरों से बढ़ी-चढ़ी ब्याज ली जा रही है तो बाकी तय नहीं कर पा रहे हैं कि नई शुरुआत करें या हथियारऔरऔर भी

शेयर, डिबेंचर या एफडी में किये गये सभी निवेश में जोखिम होता है। कम्पनी के निष्पादन, उद्योग, पूंजी बाजार या अर्थव्यवस्था की स्थिति के कारण शेयर का मूल्य नीचे जा सकता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जितने लम्बे समय के लिए निवेश किया जाता है, उतना ही कम जोखिम उसमें होता है। कम्पनियां ब्याज, मूलधन/बॉण्ड/जमा के भुगतान में दोषी हो सकती हैं। निवेश की ब्याज दर मुद्रास्फीति दर से कम हो सकती है, जिससे निवेशकों कीऔरऔर भी