आठ मई से नौ जून तक एक महीने के भीतर भेल, बेल, सेल व गेल जैसी तमाम सरकारी कंपनियों के शेयर 20% से लेकर 70% तक बढ़ चुके हैं। स्वाभाविक है कि जिन्होंने इन्हें फूंक मारकर फुलाया, वे मुनाफावसूली तो इनमें करेंगे ही। आम निवेशकों को भी इन्हें बेचकर निकल लेना चाहिए। साथ ही ट्रेडरों को इनमें लॉन्ग नहीं, शॉर्ट करने के मौके ढूंढने चाहिए। गुबार पूरा उतर जाएगा तो मजबूत कंपनियां खिलेंगी। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

बाज़ार भले ही 25 अप्रैल से बिकवाली का शिकार हो। लेकिन निफ्टी जिस तरह 4 फरवरी से 23 अप्रैल के बीच 14% बढ़ा, उसका श्रेय ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ को दिया जा रहा है। यह कौआ कान ले गया, सुनकर कौए के पीछे दौड़ पड़नेवाली बात है क्योंकि इसी दरमियान तुर्की का बाज़ार 20%, ब्राज़ील का 16%, इंडोनेशिया का 19% और मलयेशिया का 18% बढ़ा है। इसलिए अंश ही नहीं, समग्र को देखिए। अब शुक्रवार का बौद्ध-ट्रेड…औरऔर भी

केवल कंपनियां ही पूंजी व श्रम के सहयोग से अर्थव्यवस्था में मूल्य जोड़ती हैं। बाकी सब व्यापार का चक्र और मुद्रा की फेटमबाज़ी है। इसीलिए कोई बैंक एफडी, यहां तक कि इनफ्लेशन इंडेक्स बांड भी मुद्रास्फीति को नहीं हरा सकते। केवल और केवल कंपनियों के मालिकाने में हिस्सेदारी यानी इक्विटी में निवेश से हम अपनी बचत को मुद्रास्फीति की मार से बचाकर बढ़ा सकते हैं, बशर्ते सही कंपनियां चुनी जाएं। तथास्तु में एक और ऐसी ही कंपनी…औरऔर भी

लोकतंत्र में कोई भी नीति संबंधी मानक आमजन के लिए अप्रासंगिक नहीं होना चाहिए। अगर वो अप्रसांगिक है तो तय मानिए कि उस लोकतंत्र से लोगों को सायास बाहर रखा गया है। मुद्रास्फीति के कल आए आंकड़े ने यही साबित किया है। सरकार, वित्त मंत्री, उसके संत्री तक चहक रहे हैं कि मार्च में मुद्रास्फीति घटकर 6% से नीचे आ गई है। हम-आप पूछ रहे हैं कि अच्छा! घट गई? कब कैसे? शेयर बाज़ार ने ऐसा नहींऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की जिन कंपनियों के पास इफरात कैश है, वे अब अपने शेयरों को वापस खरीदने के साथ-साथ दूसरी सरकारी कंपनियों के विनिवेश में भी शिरकत कर सकती हैं। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने काफी समय से अटकते चले आ रहे इस फैसले पर मुहर लगा दी। मंत्रिमंडल के इस फैसले की जानकारी देते हुए भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने इजाजत दे दी है। लेकिन क्या करना है, इसकाऔरऔर भी

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के आईपीओ को मिली कामयाबी ने देश के प्राइमरी बाजार में जान आने के पुख्ता संकेत दे दिए है। एमसीएक्स का आईपीओ खुलने के दूसरे ही दिन बुधवार को शाम तक 4.48 गुना सब्सक्राइब हो गया। एनएसई व बीएसई के सम्मिलित आंकड़ों के मुताबिक क्यूआईबी या संस्थागत खरीदारों का हिस्सा अब तक 3.68 गुना और गैर-संस्थागत निवेशकों (एनआईबी) का हिस्सा 1.88 गुना सब्सक्राइब हो चुका है। आम निवेशकों के बीच इस इश्यू कीऔरऔर भी

डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट के चलते बाजार कैसे हिल जाता है, इसके लिए मुझे नहीं लगता कि आपको अब किसी और प्रमाण की जरूरत है। जो बाजार पिछले सेटलमेंट में ज़रा-सा झुकने को तैयार नहीं था, वह नए सेटलमेंट के दूसरे ही दिन ताश के पत्तों की तरह ढह गया। निफ्टी गिरने लगा तो गिरते-गिरते अंत में 2.26 फीसदी की गिरावट के साथ 5087.30 पर बंद हुआ। यूं तो अभी और भी बहुत कुछ होना है।औरऔर भी

बाजार के पहले आधे घंटे में आया उछाल दमदार नहीं दिखा। बल्कि, लगता है कि यह मंदड़ियों को 5110 पर स्टॉप लॉस का डर दिखाने की कसरत थी। फिर बाजार ने शुरुआती बढ़त छोड़ दी और 5096.55 तक पहुंचने के बाद गिरने लगा। मंदड़ियों ने 5040 के लक्ष्य के साथ 5090 पर फिर से शॉर्ट सौदे करने शुरू कर दिए। दोपहर दो बजे के आसपास बाजार ने फिर पेंग भरी और निफ्टी 5099.25 तक पहुंच गया। लेकिनऔरऔर भी

वर्ष 2003 में आठवें स्थान के मुकाबले वर्ष 2010  तक भारत दुनिया में कच्चे इस्पात (क्रूड स्टील) का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। केन्द्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने सोमवार को अपने मंत्रालय से जुडी संसदीय सलाहकार समिति की अध्यक्षता करते हुए भरोसा जताया कि भारत साल 2015 तक दुनिया में कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन सकता है। चीन तब भी सबसे ऊपर बना रहेगा। बैठक में स्टील अथॉरिटीऔरऔर भी

सरकारी इस्पात कंपनी सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) चालू वित्त वर्ष में मार्च 2012 तक देश के ग्रामीण इलाकों में 1000 से ज्यादा डीलरों की नियुक्ति करेगी। ऐसा नई ग्रामीण डीलरशिप स्कीम के तहत किया जाएगा। इस स्कीम का मकसद देश के अंदरूनी इलाकों में कंपनी के ब्रांडेड उत्पादों को पहुंचाना है। कंपनी की तरफ से जारी ताजा बयान में कहा गया है, “स्कीम में तय किया गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान देशऔरऔर भी