दो साल दो महीने पहले, दिसंबर 2009 में टाटा समूह द्वारा बड़े जोरशोर से लांच किया गया वॉटर प्यूरीफायर टाटा स्वच्छ पूरी तरह फ्लॉप साबित हो गया है। हालत इतनी खराब है कि टाटा केमिकल्स ने अपने तिमाही नतीजों में इस ‘युगांतरकारी’ उत्पाद का जिक्र तक करना बंद कर दिया है। जिन ग्राहकों ने इसे शुरुआती प्रचार की रौ में आकर खरीद लिया था, उन्होंने इसे किनारे कर दिया है। और, नए ग्राहक सस्ता होने के बावजूदऔरऔर भी

बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) की बिक्री चालू वित्त वर्ष 2010-11 की तीसरी तिमाही में मात्र 6 फीसदी बढ़ी है, लेकिन शुद्ध लाभ में 28.1 फीसदी इजाफा हुआ है। शुक्रवार को घोषित नतीजों के अनुसार दिसंबर 2010 की तिमाही में आरआईएल ने एक्साइज समेत कुल 62,399 करोड़ रुपए की बिक्री हासिल की है, जो दिसंबर 2009 की तिमाही की बिक्री 58,848 करोड़ रुपए से 6 फीसदी ज्यादा है। इसऔरऔर भी

हमारे यहां अभी तक का चलन यही है कि बीमा खरीदा नहीं जाता बल्कि यह बेचा जाता है। लिहाजा बीमा एजेंट जहां भावी ग्राहकों को आधी-अधूरी जानकारियां देता है वहीं कॉरपोरेट एजेंट से भी ग्राहकों को काफी शिकायतें हैं। बीमा पॉलिसी की ऑनलाइन खरीदारी का रास्ता कांटों से भरा हुआ है तो टेलीसेल्स यानी टेलीफोन के जरिए बीमा उत्पादों की बिक्री की प्रक्रिया से ग्राहक समुदाय नाखुश है। शिकायतें बहुत: एक अनुमान के अनुसार भारतीय बीमा उद्योगऔरऔर भी