टेक्निकल एनालिसिस या चार्टिंग का मूल मकसद है किसी खास समय तक खरीदने और बेचने वालों के बीच का संतुलन देखकर बाज़ार पर हावी भावना को समझना। लेकिन यह थोड़े वक्त, बहुत हुआ तो महीने या दो महीने के लिए फिट बैठता है। लंबे समय में कंपनी व अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स ही शेयरों के भाव तय करते हैं। इसलिए साल दो साल के निवेश पर टेक्निकल का फंदा नही कसना चाहिए। अब देखते हैं गुरु का बाज़ार…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में निवेश/ट्रेडिंग के दो ही अंदाज़ हैं – लांग टर्म और शॉर्ट टर्म। यह अलग बात है कि लांग टर्म इधर छोटा और शॉर्ट टर्म लंबा होता गया है। इसमें से लांग टर्म या लंबी अवधि का निवेश/ट्रेडिंग अपेक्षाकृत बहुत सरल है। इसके लिए हर दिन बहुत कम समय देना पड़ता है और इसमें न्यूनतम मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ता है। खासकर तब जब आप इसे फुरसत के वक्त में करते है। इसके लिए किसी जटिल सिस्टमऔरऔर भी