सीधी रेखा नहीं, लहरों की तरह चलते हैं शेयरों के भाव। 4 अक्टूबर 2010 को हमने पहली बार जब यूं ही चलते-चलते ग्लेनमार्क फार्मा का जिक्र छेड़ा था, तब यह 311.70 रुपए पर था। करीब दो महीने बाद 7 दिसंबर 2010 को 389.75 रुपए के शिखर पर चला गया। लेकिन करीब ढाई महीने बाद ही 28 फरवरी 2011 को 241.60 रुपए की घाटी में जा गिरा। अभी 16 मई 2011 को हमारे चक्री भाई ने जब इसेऔरऔर भी

हमारे अवध के गांवों में एक कहावत चला करती थी। मालूम नहीं, अब खेल-खलिहान व चरागाहों के उजड़ जाने के बाद क्या हाल है? वो कहावत यूं थी कि पढ़ब-लिखब की ऐसी-तैसी, छोलब घास चराउब भैंसी। मतलब आप समझ ही गए होंगे। लेकिन शेयर बाजार को समझना और निवेश का कौशल सीखना है तो पढ़ाई-लिखाई की ऐसी उपेक्षा नहीं की जा सकती है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि यहां इतने कारक काम कर रहे होते हैं कि कुछऔरऔर भी