अगर वित्त वर्ष 2013-14 के बजट प्रावधानों को सरसरी निगाह से भी देखा जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि यह बजट देश के लोगों या आम मतदाताओं को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि विदेशी निवेशकों और रेटिंग एजेंसियों को लुभाने के लिए लाया गया है। प्रमुख रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने कई महीनों से दबाव बना रखा था कि अगर सरकार ने अपने वित्तीय प्रबंधन को दुरुस्त नहीं किया तोऔरऔर भी