फाइनेंस बाज़ार में बुल्स और बियर्स की तरह कई जानवरों के नाम चलते हैं। इनमें से एक है हॉग्स/पिग्स या हिंदी में बोलें तो सुअर। इसका अभिप्राय उन निवेशकों/ट्रेडरों से होता है जो बेहद लालची व अधीर होते हैं, ब्रोकर या वेबसाइट की ‘हॉट’ टिप पर बल्लियों उछलते हैं और रिसर्च करना या जानकारी जुटाना क्लेश समझते हैं। सुअर भले ही मुश्किल से मरे, लेकिन ‘पिग्स’ निवेशक आसानी से कुर्बान हो जाते हैं। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

हर दिन एनएसई में 1500 से ज्यादा कंपनियों के शेयर ट्रेड होते हैं। इनमें से हर किसी को ट्रैक या ट्रेड करना किसी के लिए संभव नहीं है। इसलिए हर ट्रेडर को अपने हिसाब से कंपनियां छांट लेनी चाहिए। यह काम उसे खुद अपने स्वभाव और पसंद-नापसंद के हिसाब से करना होगा। जैसे, कुछ धांधलियों के चलते मुझे जिंदल व आदित्य बिड़ला समूह की कंपनियां नहीं सुहाती तो मैं उन्हें अमूमन नहीं देखता। अब गुरुवार की दृष्टि…औरऔर भी

दुनिया में कुछ स्थिर नहीं। सब कुछ निरंतर बदलता रहता है। ऐसे में किसी विचार या रणनीति से चिपक जाना घाटे का सबब बन सकता है। शेयर बाज़ार में भी यही होता है। बाज़ार की वर्तमान अवस्था में घुसने और निकलने की अलग रणनीति होनी चाहिए। फिलहाल पूरा बाज़ार व अच्छे स्टॉक्स लगातार बढ़ रहे हैं तो एंट्री का सर्वोत्तम तरीका है मूविंग औसत। ऐसा ही एकदम अलग तरीका निकलने का है। अब चुनावी माहौल का ट्रेड…औरऔर भी

जो बढ़ चुके हैं या जिनमें हर हाल में बढ़ने का दमखम है, उन्हें फिलहाल बेचकर मुनाफा कमाओ और जो थोड़ा रिस्की हैं, उथले हैं, उन्हें चढ़ाते जाओ ताकि बाज़ार के गिरते ही बेचकर अच्छा-खासा मुनाफा कमा लिया जाए। निफ्टी कल भले ही फ्लैट रहा हो, लेकिन निफ्टी मिडकैप 50 सूचकांक 1.88% बढ़ गया। बड़े खिलाड़ियों की यही रणनीति चल रही है इस समय। हम भी उनके नक्शे-कदम पर चलकर कमा सकते हैं। अब शुक्र का बाज़ार…औरऔर भी

बाज़ार का सबसे अहम रोल है भावों का सही-सही स्तर पकड़ना। इस काम में पारदर्शिता बेहद जरूरी है। लेकिन शेयर बाज़ार में है यह बड़ा मुश्किल काम। एक तो यहां हज़ारों दमदार खिलाड़ी हैं। दूसरे भाव हर मिनट पर बदलते हैं। तीसरे यहां पर्दे के पीछे बहुत सारा खेल चलता है। कंपनी प्रवर्तकों, ब्रोकरों व संस्थागत निवेशकों में मिलीभगत रहती है। ऐसी इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के उपाय तलाशे जा रहे हैं। अब बढ़े ट्रेडिंग की ओर…औरऔर भी

सरकार और ज्यादातर कंपनियों का वित्त वर्ष अप्रैल से। किसानों का नया साल मार्च-अप्रैल के बीच चैत्र से। लेकिन व्यापारियों का नव वर्ष दीवाली के बाद से शुरू होता है। सभी का अपना-अपना जीवन-चक्र। शेयर बाज़ार के ट्रेडर भी एक तरह के व्यापारी हैं। रणनीति होनी चाहिए कि थोक में खरीदो, रिटेल में बेचो। पर ज्यादातर ट्रेडर रिटेल के भाव खरीदते हैं और घबराकर थोक के भाव पर निकल जाते हैं। करते हैं संवत 2070 की शुरुआत…औरऔर भी

ऐसा क्यों है कि भारत ही नहीं, दुनिया भर में शेयर बाज़ार के 95% ट्रेडर घाटे में रहते हैं और केवल 5% ही मुनाफा कमाते हैं? इसकी दो वजहें हैं। पहली यह कि ज्यादातर ट्रेडर अपने आगे हर किसी को गधा समझते हैं। दूसरी अहम वजह यह है कि वे टिप्स या टेक्निकल एनालिसिस की गणनाओं पर उछलकूद मचाते हैं। मगर असली कुंजी, धन प्रबंधन के अनुशासन को तवज्जो नहीं देते। चलिए, देखें अब बाज़ार की धूप-छांह…औरऔर भी

एक ही साथ दो खेमों का खेल। एक में बढ़ने का भरोसा, दूसरे में गिरने का विश्वास। दोनों अपनी जगह अटल। लेकिन परकाया प्रवेश में माहिर। नेताओं से भी ज्यादा मौकापरस्त। तेजड़िया जब चाहता है मंदड़िया बन जाता है और मंदड़िया तेजड़िया। आप भी कभी पाला बदलकर सोचिए। खरीदा है तो बेचने और बेचा है तो खरीदनेवाले की नज़र से। बाज़ार का मन समझने के लिए यह अभ्यास बहुत ज़रूरी है। अब ढूंढते हैं मौके ट्रेडिंग के…औरऔर भी

बहुतेरे लोगों से सुना था, “मेरा मन कहता है कि यह शेयर यहां से जमकर उठेगा और ऐसा ही हुआ।” लेकिन कल तो हद हो गई। एक सज्जन बताने लगे कि उन्हें गुरुवार 30 मई को सुबह-सुबह सपना आया कि शुक्रवार को निफ्टी टूटेगा और वाकई निफ्टी 6134 से 5976 तक टूट गया। मैं उनसे क्या कहता! लेकिन आपसे विनती है कि मन/सपनों से मुक्त होकर ही बाज़ार में प्रवेश कीजिए। आइए, देखें इस गुरुवार का हाल…औरऔर भी