बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिए पोर्टेबिलिटी (पॉलिसी बदले बगैर कंपनी बदलने की सुविधा) लागू करने की समय-सीमा बढ़ाकर एक अक्टूबर कर दी है। पहले इसे अगले महीने एक जुलाई से लागू किया जाना था। बताया जा रहा है कि बीमा कंपनियों की तैयारी न होने की वजह से तारीख बढ़ाई गई है। अभी स्वास्थ्य बीमा कराने वालों का कोई सामूहिक डाटा भी नहीं है। पिछले कई महीनों से लोगबाग एक जुलाईऔरऔर भी

निर्धारित समय के भीतर आवंटित कपास का निर्यात करने में विफल रहने वाले कपास निर्यातकों को भविष्य में आवंटन से वंचित रखा जा सकता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कहा है कि वह निर्धारित समय सीमा के भीतर निर्यात करने से चूकने वाले कपास निर्यातकों के खिलाफ दंड की कार्रवाई भी शुरू करेगा। कपास की किल्लत के चलते कोटा के जरिए कपास के सीमित निर्यात की अनुमति दी गई है। शुरुआत में कोटा आवंटन 55 लाखऔरऔर भी

कहते हैं कि ग्राहक भगवान होता है पर अभी कुछ समय पहले तक भारत की बीमा कंपनियों का सोचना इससे उलट था। उनके लिए पॉलिसीधारक ऐसा निरीह प्राणी होता था जो शायद परेशानी सहने के लिए अभिशप्त है। लेकिन बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (आईआरडीए या इरडा) की पहल से अब माहौल बदल चुका है। कैसी समस्याएं: अमूमन जीवन बीमा पॉलिसीधारकों को जो समस्याएं सताती हैं उनमें खास हैं – पॉलिसी बांड नहीं मिला, गलत पॉलिसी बांडऔरऔर भी