हमने इसी जगह करीब सवा साल पहले 13 जनवरी 2011 को अमारा राजा बैटरीज में निवेश की सलाह दी थी। तब उसका शेयर 185 रुपए पर चल रहा था। कल, 23 अप्रैल 2012 को 4.06 फीसदी गिरने के बावजूद वो 302.20 रुपए पर बंद हुआ है। इस बीच यह बहुत नीचे गया तो 30 दिसंबर 2011 को 179 रुपए तक, जबकि 19 अप्रैल 2012 को उसने 324 रुपए का शिखर हासिल किया है। हालांकि, इसमें अब भीऔरऔर भी

मित्रों, इस कॉलम में जब भी हम किसी शेयर में निवेश की सिफारिश करते हैं तो अक्सर आगाह करते रहते हैं कि खुद ठोंक-बजाकर देख लेने के बाद ही निवेश करें। जैसे, 11 अप्रैल 2011 को हमने यहां सुप्रीम इंडस्ट्रीज में निवेश की सलाह देने के साथ लिखा था, “कोई कंपनी जब अच्छी तरह में समझ में आ जाए, उसमें भावी विकास की गुंजाइश नजर आए, तभी उसके शेयरों में निवेश करें। हमारे या किसी और केऔरऔर भी

सब वही। धंधा वही। बरक्कत वही। लेकिन बाजार ने किसी भी वजह से नजरों से गिरा दिया तो कंपनी का शेयर धड़ाम से नीचे आ जाता है। हरियाणा में गुड़गांव से संचालित होनेवाली कंपनी एचएसआईएल लिमिटेड के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। करीब नौ महीने पहले, 29 जुलाई 2011 को उसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर 245.80 रुपए पर इसलिए था क्योंकि बाजार से उसे एकबारगी चढ़ा दिया था और वो 19.71 के पी/ई अनुपातऔरऔर भी

हमें इस बात को लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि सेल मार्केटिंग की एक बाजीगरी है जिसके चलिए उपभोक्ताओं की मानसिकता को भुनाया जाता है। शेयर बाजार में भी हर साल इस तरह की ‘क्लियरेंस’ सेल तीन बार लगती है, जिसमें बेचनेवाले अपना माल निकालते हैं। पहली बजट के आसपास, दूसरी दीवाली पर और तीसरी नई साल की शुरुआत पर। सेल में लोगबाग टूटकर भाग लेते हैं। जब उन्हें कोई रोक नहीं सकता तो आपको कोईऔरऔर भी

कोई मानें या न माने, हम अब भी कहीं न कहीं दलितों व मुस्लिमों के प्रति सवर्ण और हिंदू मानसिकता से ग्रस्त हैं। नहीं तो क्या वजह है कि जिस मिर्ज़ा इंटरनेशनल का धंधा पिछले तीन सालों में 14.06 फीसदी और शुद्ध लाभ 115.60 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा हो, उसका शेयर मार्च 2008 से लेकर मार्च 2012 तक घूम-फिरकर 20 रुपए के आसपास अंकड़ा क्यों पड़ा है? वैसे, इधर अचानक इस स्टॉक में सक्रियताऔरऔर भी

सुप्रजीत इंजीनियरिंग है तो स्मॉल कैप कंपनी। इक्विटी 12 करोड़ रुपए है और बाजार पूंजीकरण 240 करोड़ रुपए के आसपास। लेकिन देश में वाहनों के केबल बनानेवाली सबसे बड़ी कंपनी है। वह गाड़ियों के स्पीडोमीटर भी बनाती है। कंपनी के तार विदेश तक फैले हैं। करीब छह साल पहले 2006 में इसने एक ब्रिटिश कंपनी गिल्स केबल्स का अधिग्रहण किया था जिसका नाम अब सुप्रजीत यूरोप लिमिटेड कर दिया गया है। घरेलू बाजार की मांग को पूराऔरऔर भी

केन्नामेटल इंडिया मूलतः विदेशी कंपनी है। औद्योगिक उत्पादन में इस्तेमाल होनेवाले एडवांस किस्म के टूल्स, टूल सिस्टम और इंजीनियरिंग कंपोनेंट बनाती है। मूल अमेरिकी कंपनी केन्नामेटल का गठन 1934 में हुआ था। साल 2002 में उसने मशीन टूल्स के धंधे में लगे बहुराष्ट्रीय समूह विडिया को खरीद लिया तो उसकी भारतीय इकाई उसकी हो गई और उसने केन्नामेटल इंडिया का नाम अपना लिया। इसके जरिए अमेरिकी कंपनी का इरादा भारत व चीन के उभरते बाजारों को पकड़नेऔरऔर भी

रिजर्व बैंक गवर्नर डी सुब्बाराव ने साफ कह दिया है कि ब्याज दरों के बढ़ने का चक्र अब पूरा हो गया है और आगे इनमें कमी ही आएगी। ऊपर से लगता है कि ब्याज दर ऊंची रहने से बैंकों को फायदा होता है। लेकिन हकीकत यह है कि ब्याज घटने से बैंकों का धंधा बढ़ता है। ब्याज घटने और धंधा बढ़ने की इसी उम्मीद में बैंकों के शेयर अब बढ़ने लगे हैं। कल सेंसेक्स 1.46 फीसदी बढ़ाऔरऔर भी

डाई अमीन्स एंड केमिकल्स वडोदरा की कंपनी है। 1982 से विशिष्ट किस्म के रसायन बना रही है। देश के इथाइल अमीन्स के संगठित बाजार की वह इकलौती खिलाड़ी है। इथाइल अमीन्स के एक सेगमेंट पिपराज़ाइन के घरेलू बाजार का लगभग 40 फीसदी हिस्सा उसके कब्जे में है। बहुत सारे उत्पाद उसने देश में पहली बार बनाकर बाजार में उतारे हैं। इस समय वह करीब 20 रसायन बनाती है जिनकी मुख्य खपत दवा उद्योग में होती है। कंपनीऔरऔर भी

गिरे हुए बाजार में भी महंगे शेयर हो सकते हैं और चढ़े बाजार में भी सस्ते। हम बाजार का रुझान निफ्टी और सेंसेक्स से नापते हैं। लेकिन सेंसेक्स के 30 निफ्टी के 50 में शामिल हैं तो दोनों सूचकांकों में कुल मिलाकर 50 शेयर ही हुए। जबकि बाजार में लिस्टेड कुल लिस्टेड कंपनियों की संख्या इस समय 5105 है जिनकी कुल 8536 स्क्रिप्स (प्रपत्र या प्रतिभूतियां) लिस्टेड हैं। टाटा मोटर्स जैसी कई कंपनियों के शेयर, डीवीआर (डिफरेंशियलऔरऔर भी