आदिवासी इलाकों में स्थित राशन दुकानों में खराब खाद्यान्न दिए जाने का आरोप लगाते हुए वामपंथी दल सीपीएम ने इसकी जांच विशेष निगरानी एजेंसी से कराए जाने और गोदामों में पड़ा खाद्यान्न गरीबों में वितरित किए जाने की मांग की है। बता दें कि करीब सात महीने पहले अगस्त 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने खाद्यान्न के कुप्रबंधन पर केंद्र सरकार को लताड़ पिलाई थी और कहा था कि बरबाद हो रहा अनाज मुफ्त में गरीबों को बांटऔरऔर भी

पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि सरकार वनवासियों के अधिकारों का संरक्षण करने के प्रावधान वाले वनाधिकार कानून की ही तर्ज पर मछुआरों के लिए भी एक अलग कानून बनाएगी। उन्होंने राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को तटीय नियमन क्षेत्र अधिसूचना 2011 जारी होने के मौके पर कहा, ‘‘इस अधिसूचना को तैयार करने वाली डॉ. एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने एक महत्वपूर्ण सिफारिश की है कि सरकार को मछुआरों व तटीय क्षेत्रोंऔरऔर भी

वनाधिकार कानून, 2005 को पारित करते समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माना था कि आजादी के बाद के छह दशकों तक आदिवासियों के साथ अन्याय होता रहा है और इस कानून के बाद उन्हें न्याय मिल पाएगा। लेकिन दक्षिण राजस्थान के वनों में वनाधिकार का हाल सरकार की दोहरी मानसिकता दर्शाता है। ‘‘कानून में पटवारी फैसला नहीं लेता है। कानून में तो वह वनाधिकार समिति के साथ मिलकर कितना खसरा, कितना रकबा पर कितना कब्जा है, यहऔरऔर भी