।।पंकज जाइसवाल*।। प्रकाश झा की फिल्म ‘सत्याग्रह’ का सबसे मूल बिन्दु अमिताभ बच्चन द्वारा कलेक्टर के मुंह पर मारा गया एक थप्पड़ है जिसमे वो कहते हैं कि हम जनता हैं और तुम जनता के नौकर हो। बहुत साफ सीधा और गूढ़ संदेश है फिल्म के इस हिस्से में। साथ ही जब अजय देवगन अमिताभ की गिरफ्तारी के खिलाफ आधुनिक आंदोलन चला रहे होते हैं तो फेसबुक पर कुछ नारों का निर्माण होता है जिसे सिर्फ एकऔरऔर भी

हमारे अवध के गांवों में एक कहावत चला करती थी। मालूम नहीं, अब खेल-खलिहान व चरागाहों के उजड़ जाने के बाद क्या हाल है? वो कहावत यूं थी कि पढ़ब-लिखब की ऐसी-तैसी, छोलब घास चराउब भैंसी। मतलब आप समझ ही गए होंगे। लेकिन शेयर बाजार को समझना और निवेश का कौशल सीखना है तो पढ़ाई-लिखाई की ऐसी उपेक्षा नहीं की जा सकती है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि यहां इतने कारक काम कर रहे होते हैं कि कुछऔरऔर भी

कर्नाटक सरकार ने बैगलोर मैसूर एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए एक कंपनी द्वारा अधिग्रहीत तीन गांवों की 1916 एकड़ जमीन के लिए मुआवजे की रकम कई गुना बढ़ाने का निर्णय लिया है। जहां पहले प्रति एकड़ 1.5 लाख रुपए मुआवजा मिलना था, वहीं अब इसकी दर 40-41 लाख प्रति एकड़ कर दी गई है। गुरुवार को राज्य सरकार ने यह फैसला किया। नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरीडोर एंटरप्राइसेज ने बैगलोर दक्षिणी तालुक में केंगेरी के बाहरी इलाके में तीन गावोंऔरऔर भी

वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार देश में आदिवासियों की आबादी आठ करोड़ से अधिक है जिनमें से 7.73 करोड़ ग्रामीण इलाकों में और केवल 70 लाख शहरी इलाकों में रहते हैं। 12 राज्यों में आदिवासियों के 2474 गांव हैं और इनमें असम के वनों में बसे गांवों की संख्या सबसे ज्यादा है। असम में आदिवासियों के 499 गांव हैं जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे कम 12 गांव हैं। केंद्र सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय आदिवासी नीतिऔरऔर भी